इलेक्ट्रिक दोपहिया-ऑटोरिक्शा बनाने पर जोर दें कंपनियां परिवहन मंत्री ने दोपहिया वाहन और ऑटोरिक्शा को इलेक्ट्रिक वाहन बनाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे गरीब वर्ग के लोगों को काफी फायदा होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि एक-दो साल में देश में इलेक्ट्रिक वाहन का विकास कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वाहन निर्माता कम्पनियों का योगदान सात फीसदी है जिसके वर्ष 2026 तक बढक़र 12 फीसदी हो जाने की उम्मीद है। गडकरी ने कहा कि देश में प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास महत्वपूर्ण है और सरकार चाहती है कि इसमें नियम-कानून कोई बाधा नहीं बने।
वाहनों से होता है 27 फीसदी प्रदूषण देश में वाहनों से करीब 27 फीसदी प्रदूषण होता है जिसे कम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एथेनाल पेट्रोल का विकल्प बनकर उभरा है और इसे चीनी उद्योग के अलावा कृषि क्षेत्र के उत्पादों तथा कचरों से भी तैयार किया जा सकता है। उन्होंने सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में पारंपरिक ईंधन के इस्तेमाल पर होने वाले खर्च और वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल पर होने वाले व्यय की तुलना करते हुए कहा कि मुंबई में वेस्ट की बसों के एक किलोमीटर चलने पर एक सौ रुपए से अधिक का खर्च आता है, जबकि नागपुर में एथेनाल से चलने वाली बस पर यह खर्च 70 रुपये आता है जबकि इलेक्ट्रिक बसों के प्रति किलोमीटर परिचालन पर खर्च 50 रुपए आता है।
पर्वतीय राज्यों में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहतर गडकरी ने कहा कि सरकार नए -नए राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है लेकिन इसके लिए भूमि अधिग्रहण पर भारी राशि की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्यों में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सबसे उपयुक्त साबित हुए है और ऐसे राज्यों में इसके विकास पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।