यह भी पढ़ेंः- सिंगापुर आैर दुबर्इ के बाद थाईलैंड, नेपाल तक जाएगी विस्तारा
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की माने तो वस्तु एवं सेवा कर ( जीएसटी ) अधिक होने और कृषि क्षेत्र के संकटग्रस्त होने के साथ-साथ वेतन व मजदूरी में वृद्धि नहीं होने व तरलता का संकट रहने के कारण उद्योग में मांग में सुस्ती बनी हुई है, जिससे हर महीने बिक्री कम होती जा रही है। उधर, डीलरों के पास इन्वेंटरी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा बीएस-4 मानक के बिना बिक्री के वाहनों के स्टॉक का प्रबंधन एक बड़ी समस्या बन गई है।
यह भी पढ़ेंः- Petrol Diesel Price Today: लगातार पांचवें दिन पेट्रोल के दाम में कटौती, डीजल की कीमत में नहीं हुआ बदलाव
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर श्रीधर वी का कहना है कि यात्री वाहनों की बिक्री घटने से आगे उत्पादन में और कटौती हो सकती है। वी. श्रीधर के अनुसार ओईएम (ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) संचालन स्तर पर लागत को कम करने के रास्ते तलाश रहे हैं।” उन्होंने कहा, “कठिन दौर से उबरने के लिए वे उत्पादन में कटौती का सहारा ले रहे हैं।”
यह भी पढ़ेंः- मुंबई-पुणे रूट पर दौड़ेगा पहला हाइपरलूप, जानिए कैसे काम करता है यह पूरा सिस्टम
ऑटो उद्योग की बिक्री में गिरावट काफी मायने रखती है, क्योंकि देश के विनिर्माण क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान तकरीबन आधा है और जीएसटी से प्राप्त राजस्व में इसका योगदान 11 फीसदी है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) की सीनियर एनालिस्ट रिचा बुलानी ने आईएएनएस को बताया, “उपभोक्ता मांग में लंबे समय से नरमी रहने और डीलरों के पास इन्वेंटरी बढऩे से ओईएम के लिए उत्पादन में कटौती करना आवश्यक हो गया है।”
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट, म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.