
High Court ban on reservation in promotion (फोटो सोर्स : एआई जेनरेटेड)
MP News: आरक्षण के आधार पर प्रमोशन की बाट जोह रहे कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया। हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की नई नीति पर सरकार से जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने पूछा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो सरकार ने नई नीति उसी तरह की क्यों बनाई? मौखिक रूप से पीठ ने कहा कि जवाब आने तक सरकार कोई कदम न उठाए, नहीं तो हम अंतरिम आदेश पारित करेंगे। इस पर महाधिवक्ता ने पीठ के समक्ष अंडरटेकिंग दी कि सरकार जवाब पेश होने और अगली सुनवाई तक प्रमोशन प्रक्रिया(Reservation in Promotion) पर किसी तरह से आगे नहीं बढ़ेगी।
पीठ ने 15 जुलाई को केस सुनवाई के लिए लिस्टेड करने का आदेश दिया। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सरकार के बनाए नए नियम को भोपाल के समीर कुमार शर्मा समेत अन्य 17 ने याचिका के जरिए चुनौती दी है। हाईकोर्ट में सोमवार को 2025 में राज्य सरकार के प्रमोशन में आरक्षण संबंधी बनाए नियमों के खिलाफ यचिकाओं पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने कोर्ट को बताया, याचिकाकर्ताओं ने 2025 के प्रमोशन में आरक्षण संबंधी नियमों को चुनौती दी है। तर्क दिया- 2002 के नियमों को हाईकोर्ट ने आरबी. राय के केस में समाप्त किया है। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया है और याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने कहा, सरकार के पास प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए कोई क्वांटिफिएबल डेटा नहीं है। एम. नागराज और जरनैल सिंह के मामलों में दिए गए आदेशों का पालन भी नहीं किया है। तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश की अवहेलना कर 2025 के नियम बनाए। यह न्याय संगत नहीं है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पहले के और नए प्रमोशन नियम के फर्क के बारे में पूछा। संतोषजनक जवाब न आने पर पीठ ने प्रमोशन (Reservation in Promotion) पर स्टे देने की मंशा जताई। इस पर राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने मौखिक अभिवचन दिया कि अगली सुनवाई तक कोई प्रमोशन नहीं किए जाएंगे। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी के जवाब तलब कर लिया।
● हाईकोर्ट: मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नियम क्यों बनाए? सरकार पहले सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात को रखती। याचिका का निराकरण कराती फिर आगे बढ़ना चाहिए।
● महाधिवक्ता: यह नियम 2002 के आदेश से अलग है।
● हाईकोर्ट: दोनों नियमों पर तुलनात्मक रिपोर्ट पेश करें।
● महाधिवक्ता: इसके लिए समय चाहिए।
● हाईकोर्ट: जब तक जवाब नहीं आता, तब तक सरकार इस पर आगे नहीं बढ़े। यदि इस पर अभिवचन दिया जाता है तो ठीक है, वर्ना अंतरिम रोक के आदेश पारित किए जाएंगे।
● महाधिवक्ता: जवाब आने तक सरकार प्रमोशन प्रक्रिया पर आगे नहीं बढ़ेगी।
Published on:
08 Jul 2025 09:09 am
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