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फांसी की सजा निरस्त, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, ये है मामला

MP High Court: जबलपुर हाईकोर्ट ने बालाघाट जिले में दो साल पुराने दोहरे हत्याकांड व दुष्कर्म के आरोप में मृत्युदंड की सजा प्राप्त गिरधानी सोनवाने को बरी कर दिया।

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Death sentence cancelled, historic decision of MP High Court

Death sentence cancelled, historic decision of MP High Court (फोटो सोर्स : एआई जेनरेटेड)

MP High Court: जबलपुर हाईकोर्ट ने बालाघाट जिले में दो साल पुराने दोहरे हत्याकांड व दुष्कर्म के आरोप में मृत्युदंड की सजा प्राप्त गिरधानी सोनवाने को बरी कर दिया। जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की खंडपीठ ने अपीलकर्ता को अनुचित तरीके से 3 साल 6 माह जेल में रखने के एवज में एक लाख रुपए जुर्माना देने के भी निर्देश दिए। कोर्ट ने साफ किया कि एक बेगुनाह को अधिक समय तक जेल में रखना न्याय के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। बालाघाट की जिला अदालत ने मामले को विरल से विरलतम श्रेणी में राते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई थी।

पुलिस को लगाई फटकार

हाईकोर्ट ने सुनवाई में पाया कि पुलिस की जांच में गंभीर खामियां थीं। गवाहों के बयानों में विसंगतियां थीं, दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे। कोर्ट ने बालाघाट पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना ठोस सबूत किसी को दोषी ठहराना न्याय प्रणाली की मूल भावना के सर्वथा विरुद्ध है।

यह था मामला

अप्रेल 2022 को बालाघाट जिले मे चिटका देवरी गांव के नहर में तीन और पांच साल की दो मासूम बहनों के शव मिले थे। दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या की गई थी। पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि परिवार रिश्तेदारी में गया था, तब यह वारदात हुई। बालाघाट विशेष अदालत ने 28 गवाहों के बयानों और पुलिस जांच रिपोर्ट के आधार पर सोनवाने को फांसी की सजा सुनाई थी।