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तालाब में रहस्यमयी ढंग से मरने लगीं मछलियां, एक्सपर्ट्स भी हैरान

गुलौआताल की पांच साल पहले ही सफाई और सौंदर्यीकरण किया गया है। यहां पानी में आक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए फव्वारे भी लगे हैं। बावजूद इसके यहां हजारों की संख्या में मछलियां मृत पाया जाना चिंता का विषय बन गया है।

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तालाब में रहस्यमयी ढंग से मरने लगीं मछलियां, एक्सपर्ट्स भी हैरान

जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित गुलौआताल में बीते दो से तीन दिनों से लगातार रहस्यमय ढंग से मछलियां मर रही हैं। कल से लेकर आज तक ही क्विंटल-भर से अधिक मरी हुई मछलियों को तालाब से बाहर निकाला जा चुका है। मामला सामने आने के बाद नगर निगम की एक्सपर्ट टीम ने इसे संज्ञान में लिया है। फिलहाल, एक्सपर्ट भी अभी मछलियों की अचानक इस तरह मौत से हैरान हैं। अधिकारी तालाब के पानी का परीक्षण कराने की बात कह रहे हैं। इसके आधार पर ही मछलियों की मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा।

आपको बता दें कि, शहर में स्थित गुलौआताल की पांच साल पहले ही सफाई कराई गई है। साथ ही, इसका सौंदर्यीकरण किया गया है। यहां पानी में आक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए फव्वारे भी लगाए गए हैं। बावजूद इसके तालाब के किनारे हजारों की संख्या में मछलियां मृत पाया जाना प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है। हालांकि, जानकारी लगते ही नगर निगम की ओर से तुरंत ही मृत मछलियों को तालाब से बाहर निकाला गया, ताकि इलाके में दुर्गंध न फैले। हालांकि, मछलियों के मरने का सिलसिला अब भी लगातार जारी है।

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मछलियों को नमक लगाकर दफनाया गाया

हालांकि, निगम के अफसर फौरी तौर पर अनुमान लगाते हुए बता रहे हैं कि, अत्यधिक गर्मी के चलते तालाब में पानी कम हुआ है, जिसके चलते संभवत: मछलियों की मौत हो रही है। हालांकि तालाब के पानी की जांच के बाद ही मौत का स्पष्ट कारण पता चल सकेगा। इससे पूर्व नगर निगम के अमले ने मृृत मछलियों को तालाब से अलग करवाकर उनका विनष्टीकरण कराया गया। इसके लिए मृत मछलियों को नमक के साथ गड्ढे में दफनाया गया। निगम प्रशासन की ओर से तालाब की सतत् मानीटरिंग किए जाने की बात भी कही जा रही है।

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विशेषज्ञों की बात

इस बारे में मत्स्य विशेषज्ञ प्रो. सोना दुबे का कहना है कि गर्मी में आक्सीजन का स्तर घटन अौर पानी में प्रदूषण बढ़ने से मछलियों की मौत हो सकती है। लेकिन इसका एक बड़ा कारण मछली का अवैध शिकार करने वालों द्वारा पानी में किसी प्रकार का जहर मिलाया जाना भी हो सकता है। इन सारे तथ्यों का पता मछलियों का शव परीक्षण करने और लैब में पानी की जांच करने से ही चल सकता है। पानी में कार्बन डाई आक्साइड, आक्सीजन और अमोनिया के स्तर की जांच से भी असली कारणों का पता चल सकता है।

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