जबलपुर शहर के संस्कारधानी में बने इस घर को मोतीलाल केशरवानी ने बनाया है। अब वे इस दुनिया में तो नहीं है लेकिन उनका घर खूब फेमस है। उन्हें पेड़-पौधों से काफी लगाव था। घरवालों के समाने हमेशा यह जिक्र करते थे कि उनकी जिंदगी पेड़ की छांव में ही गुजरे, इसलिए वर्षों पुराने बरगद के पेड़ के आस-पास उन्होंने अपना आशियाना बनवा लिया।
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केशरवानी परिवार का यह घर पूरे शहर में चर्चित है। इस घर के नीचे मंदिर भी है, जहां लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं। अब बरगद का यह पेड़ भी घर का हिस्सा हो गया है। घर को बनाने के लिए पेड़ के किसी भी हिस्से का नुकसान नहीं पहुंचाया गया। यही वजह है कि डाइनिंग रूम से लेकर कमरे तक में पेड़ का कोई न कोन तना आपको नजर आएगा।
केशरवानी परिवार का यह घर पूरे शहर में चर्चित है। इस घर के नीचे मंदिर भी है, जहां लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं। अब बरगद का यह पेड़ भी घर का हिस्सा हो गया है। घर को बनाने के लिए पेड़ के किसी भी हिस्से का नुकसान नहीं पहुंचाया गया। यही वजह है कि डाइनिंग रूम से लेकर कमरे तक में पेड़ का कोई न कोन तना आपको नजर आएगा।
बेटी ने क्या कहा
मोतीलाल केशरवानी की बेटी अल्पना ने कहा कि मेरे पिता की इच्छा थी कि उनकी जिंदगी पेड़ के छांव में गुजरे। इसीलिए उन्होंने पेड़ के आस-पास अपना घरौंदा बना लिया। अब वो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उन्होंने दुनिया के सामने जो तस्वीर छोड़ी हैं, उसमें सबके लिए एक सीख है। वहीं, अल्पना ने कहा कि कई लोगों ने कहा कि इसके ऊपर भी फ्लोर बन जाएगा लेकिन हमलोगों ने मना कर दिया कि हमें छांव में ही रहना है।
मोतीलाल केशरवानी की बेटी अल्पना ने कहा कि मेरे पिता की इच्छा थी कि उनकी जिंदगी पेड़ के छांव में गुजरे। इसीलिए उन्होंने पेड़ के आस-पास अपना घरौंदा बना लिया। अब वो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उन्होंने दुनिया के सामने जो तस्वीर छोड़ी हैं, उसमें सबके लिए एक सीख है। वहीं, अल्पना ने कहा कि कई लोगों ने कहा कि इसके ऊपर भी फ्लोर बन जाएगा लेकिन हमलोगों ने मना कर दिया कि हमें छांव में ही रहना है।
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मोतीलाल केशरवानी की बहू ने कहा कि हमारे ससुर जी की बहुत इच्छी थी कि वो छांव में रहें। उन्हें कई लोगों ने आकर कहा कि पेड़ को हटा दीजिए, इसमें पानी आएगा। लेकिन उन्होंने कहा कि वृक्ष का बिना नुकसान पहुंचाएं ही घर बनाएंगे और उन्होंने ऐसे ही बनाया।
मोतीलाल केशरवानी की बहू ने कहा कि हमारे ससुर जी की बहुत इच्छी थी कि वो छांव में रहें। उन्हें कई लोगों ने आकर कहा कि पेड़ को हटा दीजिए, इसमें पानी आएगा। लेकिन उन्होंने कहा कि वृक्ष का बिना नुकसान पहुंचाएं ही घर बनाएंगे और उन्होंने ऐसे ही बनाया।
पूर्वजों का था यहां कच्चा मकान
मोतीलाल केशरवानी के बेटे ने कहा कि पहले इस स्थान पर हमारे पूर्वजों का कच्चा मकान था। हमारे पिता जी पर्यावरण प्रेमी रहे हैं, साथ ही समाजिक दृष्टिकोण से भी काफी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पर्यावरण को बचाने लेने के लिए लोगों संदेश दिया है कि कैसे पेड़ को बचाते हुए हम अपना घर बना सकते हैं। मोतीलाल केशरवानी के बेटे ने बताया कि इस घर को बने हुए 27 साल हो गए हैं लेकिन हमलोगों को कभी किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई है।
मोतीलाल केशरवानी के बेटे ने कहा कि पहले इस स्थान पर हमारे पूर्वजों का कच्चा मकान था। हमारे पिता जी पर्यावरण प्रेमी रहे हैं, साथ ही समाजिक दृष्टिकोण से भी काफी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पर्यावरण को बचाने लेने के लिए लोगों संदेश दिया है कि कैसे पेड़ को बचाते हुए हम अपना घर बना सकते हैं। मोतीलाल केशरवानी के बेटे ने बताया कि इस घर को बने हुए 27 साल हो गए हैं लेकिन हमलोगों को कभी किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई है।
केशरवानी के बेटे ने कहा कि ऐसे भी पीपल के पेड़ पर भगवान का वास होता है। हमलोगों इसलिए पूज-पाठ भी करते हैं। हमारे पिताजी ने ऐसे कई पेड़ लगाए हैं। जिसका फल आज हमलोगों को प्राप्त हो रहा है।
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जाहिर आज जिस तरीके से लोग अपने घर के लिए पेड़ों को काट रहे हैं, उन्हें इस परिवार से सीख लेने की जरूरत है कि कैसे बिना पेड़ काटे घर को बनाया जा सकता है। साथ ही इस तपिश भरी गर्मी में आप ठंडी हवाओं का भी आनंद उठा सकते हैं।
जाहिर आज जिस तरीके से लोग अपने घर के लिए पेड़ों को काट रहे हैं, उन्हें इस परिवार से सीख लेने की जरूरत है कि कैसे बिना पेड़ काटे घर को बनाया जा सकता है। साथ ही इस तपिश भरी गर्मी में आप ठंडी हवाओं का भी आनंद उठा सकते हैं।