
Big victory daily wage workers working in SBI Indore
mp news: मध्यप्रदेश में स्टेट बैंक ऑफ (एसबीआइ) इंदौर में कार्यरत 8 दैनिक वेतनभोगियों की 15 साल की लंबी कानूनी लड़ाई आखिरकार रंग लाई। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इन कर्मचारियों को एसबीआइ में दोबारा नियुक्त किया जाए। साथ ही बैंक को उन्हें 50 प्रतिशत बकाया वेतन भी देना होगा। लेबर कोर्ट से शुरू हुआ यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए अमानुल्लाह व जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने एसबीआइ की विशेष अनुमति याचिका निरस्त कर दैवेभो कर्मियों को राहत दी। मामले को लेकर जबलपुर के रवि यादव, उमेश सैनी, मुकेश सुमन, राजकुमार सेन, मुकेश बुरमन, राम नारायण पाठक, रविन्द्र यादव और सुनील नाहर ने लंबी लड़ाई लड़ी। बता दें पूर्व में सीजीआइटी ने 2014 में कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय दिया। एसबीआइ ने इस फैसले को चुनौती दी और हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कर्मचारियों को चार लाख मुआवजा देने का आदेश दिया। अपील पर युगलपीठ ने 2019 में फैसला पलटते हुए दैवेभो कर्मियों के पक्ष में निर्णय दिया।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 23 जुलाई, 2018 को एकलपीठ ने कर्मचारियों की पुन:स्थापना के बजाय प्रत्येक को चार लाख मुआवजे का आदेश दिया। इसके बाद, कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की युगलपीठ में अपील दायर की। 14 नवंबर, 2019 को युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को पलटते हुए सीजीआइटी के मूल निर्णय को बहाल कर दिया। स्पष्ट किया कि सेवा समाप्ति न केवल विलय अधिसूचना के प्रावधानों के विरुद्ध थी, बल्कि औद्योगिक विवाद अधिनियम का भी उल्लंघन था। स्टेट बैंक आफ इंडिया ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। अंतिम सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीजीआइटी के 24 फरवरी, 2014 के आदेश को बहाल रखा। हाईकोर्ट के 14 नवंबर, 2019 के निर्णय को भी मान्यता दी गई।
Published on:
27 Jul 2025 09:22 pm
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