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भीषण गर्मी से यहां सूख चुका है जमीन का पानी, सूखे डेम किनारे बैठकर लोगों ने शुरु किया भजन-कीर्तन

बरगी डैम के कारण जिन्हें इन इलाकों से विस्थापित किया गया था, आज वही लोग पानी के लिए परेशान हैं। भीषण जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण अब ईश्वर से प्रार्थना कर सरकार और प्रशासन को जगाने का प्रयास कर रहे हैं।

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भीषण गर्मी से यहां सूख चुका है जमीन का पानी, सूखे डेम किनारे बैठकर लोगों ने शुरु किया भजन-कीर्तन

जबलपुर. मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जल प्रवाह मानी जाने वाली नर्मदा भी इन दिनों सूखे की मार झेल रही है। आलम येहै कि, कई जगहों पर तो तटीय इलाके भी सल संकट में घिर चुके हैं। कुछ ऐसा ही हाल जबलपुर के बरगी इलाके का है। बांध के आसपास बसने वाली बड़ी आबादी जो खासकर पीने के पानी के लिए बरगी पर ही निर्भर है, इन दिनों वो भी जल संकट से जूझ रहे हैं। आलम ये हैं कि, बरगी के ग्रामीण इलाकों के लोग डैम के किनारे ही प्यासे बैठे हैं।


बरगी डैम के कारण जिन्हें इन इलाकों से विस्थापित किया गया था, आज वही लोग पानी के लिए परेशान हैं। भीषण गर्मी में जल संकट ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र में आ रही है। जबलपुर के बरगी में भीषण जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण अब ईश्वर से प्रार्थना करने में जुट गए हैं। उनका मानना है कि, सरकार और प्रशासन से अब किसी तरह की उम्मीद रखना बेमानी है।


ये समस्या सिर्फ भीषण गर्मी के कारण ही उत्पन्नन नहीं हुई है। बल्कि, जबलपुर के बरगी विधानसभा इलाके के जनपद शहपुरा और जनपद जबलपुर में आने वाले सैकड़ों गांव बीते कई वर्षों से पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इस इलाके के चिरापौंडी, नवीन देवरी, दुर्गा नगर, तिन्हेंटा सहित ऐसे सैकड़ों गांव हैं, जहां गांव वाले कुएं का गंदा कीचड़ भरा पानी पीने तक को मजबूर हैं। इतना ही नहीं 30 से 35 साल पहले बने बरगी बांध के विस्थापित दुर्गा नगर में रहने वाले तीन जिलों के ग्रामीणों को इतने साल बीत जाने के बाद भी पानी समेत अन्य कई मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

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भजन-कीर्तन से जागेगी सरकार- ग्रामीण

गांव वालों की इस विकट समस्या पर न सरकार ध्यान देती है न स्थानीय अफसर और नेता, इसलिए अब उन्हें भगवान से लौ लगाकर जगाने का प्रयास किया जा रहा है। गांव वाले गांव के बाहर बने देवालय पर भजन कीर्तन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, हम भगवान के साथ स्थानीय जिला प्रशासन को जगाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि विस्थापितों को पानी मिल सके। यही हालात बरगी क्षेत्र के लगभग हर गांव के हैं, जहां एक कुएं के भरोसे 500 से 600 परिवार जीवन गुजार रहे हैं।

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