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पत्रिका फिर बना जनहित की आवाज, खबर के बाद जागे जिम्मेदार, ग्रामीण बोले- अब मासूम भूखे नहीं…

Bastar Flood: रेडक्रॉस, बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स समेत रोटरी क्लब ने गांव में लोगों के बीच खाने-पीने के समान का वितरण शुरू किया।

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मांदर में आफत के बाद अब मदद की बाढ़ (Photo source- Patrika)

मांदर में आफत के बाद अब मदद की बाढ़ (Photo source- Patrika)

Bastar Flood: पत्रिका एक बार फिर बस्तर के लोगों की आवाज बना है। हमने शुक्रवार के अंक में बताया था कि बस्तर के जिस मांदर गांव में सदी की सबसे बड़ी जल त्रासदी आई वहां के बच्चे भूखे हैं। हमने यह लिखते हुए यह भी बताया कि बस्तर के अफसरों ने सीएम से कहा है कि हर ग्रामीण तक मदद पहुंच रही है।

Bastar Flood: प्रशासन का सभी करें सहयोग

लगातार दो दिन तक हम मांदर गांव से वास्तविक स्थिति अपने पाठकों तक पहुंचाते रहे। दो दिन तक सामने आई ग्राउंड रिपोर्ट के बाद बस्तर जिला प्रशासन के जिम्मेदार जागे और शुक्रवार को गांव में भूख मिटाने का वृहद अभियान शुरू किया गया। रेडक्रॉस के माध्यम से संस्थाओं और आम लोगों से अपील की गई कि वे प्रशासन का सभी सहयोग करें।

इस अपील के जारी होते ही कुछ ही समय में संस्थाओं ने मांदर में मोर्चा संभाल लिया। रेडक्रॉस, बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स समेत रोटरी क्लब ने गांव में लोगों के बीच खाने-पीने के समान का वितरण शुरू किया। शुरुआत में जहां प्रशासन ने ग्रामीणों के बीच महज चावल-दाल और कंबल का वितरण किया था तो वहीं पत्रिका में खबर प्रकाशित होते ही प्रशासन ने मदद का दायरा बढ़ाया।

चेंबर और रोटरी ने कपड़े और खाने-पीने की चीजें बांटी

आपदा के बीच बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के साथ ही रोटरी क्लब ने मांदर पहुंचकर बच्चों और महिलाओं के लिए कपड़े, साडिय़ां और बच्चों के लिए खाने-पीने की चीजों का वितरण किया। रोटरी क्लब का कहना है कि यह आपदा की घड़ी में उनका छोटा सा प्रयास है, ताकि जरूरतमंद परिवारों को राहत मिल सके।

Bastar Flood: ग्रामीण बोले- अब सहायता पर ईमानदारी से काम: मांदर गांव के रैनु पटेल ने बताया कि शुक्रवार से उन्हें पर्याप्त मदद और सहायता मिल रही है। मकान बनाने के लिए सहायता प्रदान करने के साथ ही आवश्यक बांस-बल्ली उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वहीं बिजली आपूर्ति के लिए विद्युत लाइन का सुधार किया गया है। शिविर में समय पर भोजन दिया जा रहा है। राशन सुलभ कराया जा रहा है।

प्रति मकान नुकसान पर 1 लाख 20 हजार रुपए

सुखराम पोयामी ने बताया कि आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त मकानों के 14 प्रभावितों को 91 हजार रुपए और पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 4 मकानों के पीड़ितों को 4 लाख 80 हजार रुपए दिए गए हैं। प्रति मकान 1 लाख 20 हजार रुपए दिए गए हैं। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि नुकसान उनका ज्यादा हुआ है। यह रकम कम है। प्रशासन ने आगे भी मदद की बात कही।

पत्रिका ने हमारा दर्द दुनिया को बताया

पत्रिका की टीम जब लगातार दो दिन मांदर गांव पहुंची तो वहां ईश्वर पटेल, झुमुक लाल और योगेंद्र जैसे ग्रामीण मिले। शुक्रवार को सभी ने एक बार फिर पत्रिका से बात करते हुए कहा कि पत्रिका हमारी आवाज बना। हमारा दर्द समूचे बस्तर समेत देश-दुनिया में प्रसारित हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि पत्रिका अगर हमारा दर्द नहीं बताता तो शायद ही ऐसी मदद मिलती।

मदद की अपील

Bastar Flood: बस्तर कलेक्टर हरिस एस ने शुक्रवार को एक अपील जारी कर कहा कि आपदा की इस घड़ी में सभी से जो भी हो सके वह सहयोग करें। हालात से हम मिलकर लड़ सकते हैं और ग्रामीणों के दुख को कम कर सकते हैं। कलेक्टर ने बर्तन सेट, कंबल, बेड शीट, पुराने कपड़े सीधे पीड़ितों को या जिला पंचायत जगदलपुर में दे सकते हैं। सीईओ प्रतीक जैन और रेडक्रॉस के चेयरमैन मनीष गुप्ता से भी संपर्क कर सकते हैं। मदद के लिए 9406480100 पर कॉल करें।