
जानिये क्यों बस्तरवासी अपने भगवान को पिलाते हैं नीम का काढ़ा
जगदलपुर.बस्तर में गोंचा पर्व 17 जून से जात्रा पूजा विधान के साथ शुरू हो चुका है।पौराणिक मान्यता (Old Tradition) के अनुसार चन्दन जात्रा पूजा विधान के बाद जगन्नाथ भगवान (Jagannath Bhagwan) 15 दिनों के लिए अनसरकाल में चले जाते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ होते हैं। इस दौरान भगवान का दर्शन वर्जित होता है। भगवान जगन्नाथ के स्वास्थ्य लाभ के लिए औषधि युक्त भोग (Decoction) का अर्पण कर उनकी सेवा में अनसरकाल में आरण्यक ब्राम्हण समाज के सेवादारों एवं पंडितों द्वारा किया जाता है।
भगवान् को पिलाते हैं नीम का काढ़ा
मंगलवार को जगन्नाथ मंदिर (God Jagannath Temple) के पुजारी योगेश मंडन, गदाधर पाणिग्रही और भूपेंद्र जोशी ने भगवान को काढ़ा पिलाया। उन्होंने बताया की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। काढ़े (Decoction) में सोंठ,तुलसी पत्ता और भुई नीम मिलाया जाता है। ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष हेमंत पांडे ने बताया कि भगवान को जिस काढ़े का भोग लगाया जाता है।
उसकी सामग्री पंडित बाजार और जंगलों से इकट्ठा करके लाते हैं। टेंपल कमेटी के द्वारा भी जड़ी-बूटी दी जाती है। मंदिर के तीनो पुजारी अमावस्या तक इसी प्रकार जड़ी बूटियों से बने काढ़े को भगवान को पिलाते रहेंगे।हेमंत पांडेय ने बताया की पिछले 6 दशकों से इन्हीं तीनो पुजारियों का परिवार यह काम करता आ रहा है। पुजारी इसे पुण्य का काम मानकर पूरी आस्था से करते हैं।बाद में बचे हुए काढ़े को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है।
लोगों को स्वस्थ रखने के लिए बीमार होते है भगवान जगन्नाथ
अनसर काल के दौरान भगवान जगन्नाथ (God Jagannath) का दर्शन निषेध होता है। यह परंपरा (Old Tradition) सालों से विधि विधान से निभाई जा रही है। जगन्नाथ मंदिर में यह रस्म निभाने के लिए मुक्ति मंडप को ढक दिया जाता है। ब्राह्मण समाज के लोगों ने बताया कि लोगों को स्वस्थ रखने के लिए भगवान बीमार होते है। इस अवस्था में उनकी हालत काफी कमजोर होती है। शारीरिक कमजोरी से निजात पाने के लिए ही उन्हें काढ़ा (Decoction) पिलाया जाता है।
Published on:
19 Jun 2019 04:16 pm
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