
शहरों में पलायन हो रहे नक्सली (Photo source- Patrika)
CG Naxal News: बस्तर के जंगल जो कभी नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगार माने जाते थे वे बस्तर अब नक्सलियों के लिए सुरक्षित नहीं रह गए हैं। जंगल में बढ़ता खतरा देखकर बड़े नक्सली नेता अब अर्बन इलाकों में शिफ्ट कर गए है। खबर है कि कुछ ने तो प्रदेश को ही अलविदा कह दिया है।
नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे कोवर्ट ऑपरेशन ने नक्सलियों की दशकों पुरानी रणनीति को बुरी तरह ध्वस्त कर दिया है। जिस जंगल को वे अपनी सुरक्षित पनाहगार मानते थे, वह अब उनके लिए खतरे का क्षेत्र बन चुका है। सुरक्षा बलों के कोवर्ट ऑपरेशन और सटीक रणनीति, आधुनिक तकनीक और खुफिया सूचनाओं पर आधारित कार्रवाई ने नक्सलियों की चूलें हिला दी हैं ।
नक्सली लंबे समय से छापामार युद्ध शैली में दक्षता का दावा करते रहे हैं। यहां के सघन वन और विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों को नक्सली अपनी ताकत मानते थे। लेकिन अब यही उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है। सुरक्षा बल अब जंगलों में गहराई तक घुसकर नक्सलियों के ठिकानों को न सिर्फ ध्वस्त कर रहे है बल्कि ड्रोन, हेलीकॉप्टर और आधुनिक निगरानी उपकरणों की मदद से जंगलों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और जंगलों में बढ़ती निगरानी के चलते नक्सली अब सुरक्षित ठिकानों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। कई नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि कई ने सीमावर्ती राज्यों की ओर पलायन किया है। बस्तर के बीजापुर, सुकमा और कांकेर जिलों में हाल ही में हुई मुठभेड़ों में बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए हैं। अकेले वर्ष 2025 में अब तक 224 से अधिक नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है।
कोवर्ट ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व पर सीधा प्रहार है। अबूझमाड़ के जंगलों में नक्सल संगठन के प्रमुख बसवा राजू की मौत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। वर्ष 2024-25 में अब तक नक्सलियों के सात केंद्रीय समिति के सदस्य मारे जा चुके हैं। इनमें कई ऐसे नाम शामिल हैं जो वर्षों से नक्सल आंदोलन की रीढ़ माने जाते थे। इनकी मौत से संगठन की रणनीतिक क्षमता पर गहरा असर पड़ा है।
मुठभेड़ 89
मारे गए नक्सलियों के शव बरामद 224
शहीद सुरक्षाकर्मी 20
आत्मसमर्पित नक्सली 1042
गिरफ्तार नक्सली 704
विस्फोट की घटनाएं 58
नक्सली हथियार जप्त 383
आईईडीज जप्त 805
नक्सलियों द्वारा मारे गए आमजन 40
CG Naxal News: एक ऐसा अभियान जो गुप्त रूप से चलाया जाता है, जिसका उद्देश्य किसी को पता चले बिना जानकारी इकट्ठा करना, किसी को भ्रमित, या किसी और गतिविधि को अंजाम देना होता है। यह अभियान आमतौर पर अतिवाद प्रभावित इलाकों में एजेंसियां या सैन्य दल संचालित करते हैं ताकि अशांत क्षेत्रों से जानकारी जुटाकर किसी वांक्षित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
Published on:
09 Oct 2025 11:23 am
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