
बस्तर के युवाओं की चेतना व सोच के जरिए ही नक्सलवाद को उखाड़ेंगे (Photo source- Patrika)
CG News: बस्तर की धरती अब नक्सल हिंसा से मुक्ति और शांति की ओर अग्रसर हो रही है। इसी उद्देश्य को लेकर आज पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी सभागार में ‘माओवाद का विद्रूप चेहरा: बीजिंग से बस्तर तक’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। बस्तर शांति समिति के तत्वावधान में आयोजित इस गोष्ठी में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
उप मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 'बस्तर के युवाओं की चेतना और तकनीक की समझ अब माओवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए पर्याप्त है।' उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और जन-संचार के माध्यम से अब बस्तर की सकारात्मक तस्वीर सामने लानी होगी। उन्होंने चेताया कि माओवादियों की विचारधारा ने वर्षों तक बस्तर की तरक्की को रोका, निर्दोषों का खून बहाया और लोकतंत्र की नींव को कमजोर किया।
इस विचार गोष्ठी में बस्तर सांसद महेश कश्यप, फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन, बस्तर शांति समिति के सदस्य दशरथ कश्यप, पूर्व विधायक राजा राम तोड़ेम और बस्तर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने बस्तर में नक्सल गतिविधियों के कारण बस्तर के स्वरूप में हुए परिवर्तन पर अपना वक्तव्य रखा।
CG News: गोष्ठी में 1989 के तियानमेन चौक नरसंहार पर केंद्रित वृत्तचित्र भी दिखाया गया, जिसमें चीन की कम्युनिस्ट विचारधारा और माओवाद के दमनकारी चेहरे को उजागर किया गया। वक्ताओं ने माओ त्से तुंग के विचार 'राजनीतिक शक्ति बंदूक की नली से निकलती है' की आलोचना करते हुए इसे बस्तर में हुई हिंसा और विनाश का मूल कारण बताया।
केदार कश्यप, वन मंत्री: अब जनता जागरूक हो चुकी है और माओवादी विचारधारा से मुक्ति चाहती है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर माओवाद के समूल नाश के लिए प्रतिबद्ध हैं, और बस्तर की वादियों में एक बार फिर ढोल-मांदर की थाप गूंजेगी। माओ के नाम पर बस्तर में रक्तरंजित खेल खत्म होगा।
Published on:
04 Jun 2025 01:25 pm
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