
CG assembly election 2023 : जगदलपुर छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र का आइकॉन है चित्रकोट जलप्रपात। इसी चित्रकोट के नाम से इस विधानसभा क्षेत्र को पहचाना जाता है। दो लाख के करीब की संख्या वाले मतदाता यहां रहते हैं। नगरनार में एनएमडीसी स्टील प्लांट की आधारशिला रखने के तत्काल बाद इस विधानसभा क्षेत्र के लोहांडीगुडा में टाटा स्टील कंपनी पहुंची थी। टाटा द्वारा प्लांट लगाए जाने की संभावनाओं से यहां जमीन के दामों में उछाल आ गया था। वहीं रोजगार की उम्मीद जग गई थी। कुछ समय तक सारी गतिविधियां ठीक से चलने के बाद एकाएक टाटा का विरोध शुरू हो गया। इसकी परिणिति अंतत: टाटा की विदाई से हुई।
टाटा कंपनी की विदाई के साथ ही यहां के युवाओं को रोजगार, स्कील डेवलपमेंट, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से वंचित होना पड़ा। पत्रिका ने लोहांडीगुड़ा, टाकरागुडा, छापरभानपुरी व उसरीबेड़ा के युवाओं से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए जिले व राज्य से भी बाहर जाना पड़ता है। यहां काम के लाले पड़ गए हैं। देउरगांव के लोकनाथ मौर्य ने बताया कि वे कृषक हैं। खाद के लिए पहले लैम्प्स पहुंच जाते थे। दो साल पहले लैम्प्स में चुनाव बंद करवा दिया गया। खाद वितरण के लिए बार बार डाक्यूमेंट व सामूहिक पट्टावालों से सभी सदस्यों की सामूहिक सहमति मांगते हैं। ऐसे में कोई आपत्ति जता देता है तो खाद नहीं मिल पाती है।
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पेयजल विवाद के चलते पहुंच रहे थाने
पोटानार के मनधर सेठिया, डी.एन. पाणिग्राही और बलीराम ने बताया कि पोटानार में पानी की टंकी तक नहीं है। पेयजल को लेकर गांव में दो गुट बने हुए हैं। आए दिन विवाद होता है व दोनों गुट थाने पहुंच जाते हैं। पानी के लिए गांव का माहौल अशांत है। यही स्थिति बिजली की है। एक बार गुल हुई तो लंबे समय तक नहीं आती है।
अधिग्रहित जमीन की गई वापस
इस विधानसभा क्षेत्र में टाटा ने बंडाजी, बड़ेपरौदा, बेलर, बेलियापाल, छिंदगांव, दापपाल, घुरगांव सहित अन्य गांवों की 500 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली थी। कांग्रेस ने 2018 के अपने चुनाव घोषणापत्र में वादा किया कि अधिग्रहण की हुई जमीन उनके मालिकों को वापस कर दी जाएगी। सरकार बनने पर इसे पूरा किया गया।
देश का नियाग्रा कहे जाने वाले चित्रकोट जलप्रपात को देखने हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं। ओडिशा व छत्तीसगढ़ में इंद्रावती नदी के जल बंटवारा विवाद होने की वजह से गर्मी के दिनों में इंद्रावती की जलधारा सूखने लगती है। इसका असर इस जलप्रपात पर भी पड़ता है। भीषण गर्मी में यह सूख जाता है। इससे यहां पर पर्यटन उद्योग भी ठप पड़ जाता है। सालभर पर्यटक आएं, ऐसी कोई उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आती है।
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Updated on:
06 May 2023 12:44 pm
Published on:
06 May 2023 12:38 pm
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