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केके रेललाइन पर सिर्फ मालगाड़ी, लैंडस्लाइड के 28 दिन बाद भी यात्री ट्रेनें ठप

Indian Railway: बस्तर में केके लाइन पर यात्री सेवाओं की रुकावट ने स्थानीय लोगों, विशेषकर आदिवासी समुदायों, को गंभीर असुविधा पहुंचाई है।

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रेलवे का अनोखा रिकॉर्ड (Photo source- Patrika)

रेलवे का अनोखा रिकॉर्ड (Photo source- Patrika)

Indian Railway: बस्तर संभाग में किरंदुल-कोत्तावालसा (केके) रेल लाइन ने एक शर्मनाक विश्व रिकॉर्ड की ओर कदम बढ़ाया है। यह देश की पहली ऐसी रेलवे लाइन बन गई है, जहां लैंडस्लाइड के बाद मलबा हटाए जाने के बावजूद मालगाड़ी संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन यात्री ट्रेन सेवाएं 28 दिन बाद भी ठप हैं। भारतीय रेलवे के इतिहास में यह स्थिति अभूतपूर्व है, क्योंकि किसी भी अन्य रेल हादसे या लैंडस्लाइड के बाद इतने लंबे समय तक यात्री सेवाएं प्रभावित नहीं रही हैं।

Indian Railway: लैंडस्लाइड का खतरा बरकरार

यह घटना देश में सबसे लंबे समय तक यात्री सेवा रुकावट के शीर्ष 5 मामलों में शामिल हो चुकी है। वह भी तब, जब इस रूट से 48 घंटे के अंदर ही मलबा हटा लिया गया था, लाइन क्लियर कर दी गई थी और मालगाडिय़ों का संचालन शुरू हो गया था। इस मसले पर रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक का कहना है कि लैंडस्लाइड का खतरा बरकरार है। सेवा जल्द शुरू की जाएगी।

बस्तर में केके लाइन पर यात्री सेवाओं की रुकावट ने स्थानीय लोगों, विशेषकर आदिवासी समुदायों, को गंभीर असुविधा पहुंचाई है। यात्री बसों और निजी वाहनों पर निर्भर हैं, जिससे उनकी यात्रा महंगी और समय लेने वाली हो गई है। स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने रेलवे प्रशासन से तत्काल यात्री सेवाएं बहाल करने की मांग की है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए, लेकिन देरी की वजह से जनता का आक्रोश बढ़ रहा है।

26 दिनों से अधिक समय तक यात्री सेवाएं बंद

Indian Railway: केके लाइन, जो बस्तर के किरंदुल से आंध्र प्रदेश के कोत्तावालसा तक माल और यात्री परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है, 2 जुलाई 2025 में भारी बारिश के कारण हुए लैंडस्लाइड से बुरी तरह प्रभावित हुई। भूस्खलन ने रेलवे ट्रैक पर भारी मलबा जमा कर दिया, जिससे यात्री और मालगाड़ी सेवाएं दोनों ठप हो गईं।

रेलवे कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए मलबा हटाकर 48 घंटे बाद ही मालगाड़ी संचालन तो शुरू कर दिया, लेकिन 26 दिनों से अधिक समय तक यात्री सेवाएं बंद है। जिसके कारण बस्तर के यात्री वैकल्पिक साधनों पर निर्भर हैं, जिससे उनकी यात्रा लागत और समय दोनों बढ़ गए हैं। इस रेल खंड पर चलने वाली प्रमुख ट्रेनें, जैसे विशाखापत्तनम-किरंदुल पैसेंजर, पूरी तरह बंद हैं, जिसने हजारों यात्रियों को प्रभावित किया है।