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खूबसूरती के पीछे खतरा! बस्तर में बढ़ रहा सेल्फी का जुनून, इन जलप्रपातों से गिरकर हो चुकी है कई पर्यटकों की मौत

Social Media Craze: बस्तर की वादियां और झरने आपको जीवन भर की यादें दे सकते हैं, लेकिन ये तभी तक सुंदर हैं जब तक आप जिंदा लौटते हैं। एक परफेक्ट शॉट के लिए अगर जिंदगी खतरे में पड़ जाए, तो वो ‘परफेक्ट मोमेंट’ नहीं, एक खतरनाक भूल बन जाती है। चलिए बस्तर की सुंदरता को सिर्फ कैमरे में ही नहीं, दिल में भी कैद करें, लेकिन सुरक्षा को कभी न भूलें।

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खूबसूरती के पीछे खतरा (फोटो सोर्स- पत्रिका)

खूबसूरती के पीछे खतरा (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Social Media Craze: प्राकृतिक सौंदर्य की गोद में बसा बस्तर यूं तो सालभर देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है, लेकिन सावन का महीना इस धरती पर जैसे जादू बिखेर देता है। हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़, शबाब पर पहुंचे झरने और ताजगी से भरी हवा लोगों को अपने मोहपाश में बांध लेती है।

चित्रकोट, तीरथगढ़, तामड़ा घूमर, मेंदरी घूमर और चित्रधारा जैसे झरने पर्यटकों से खचाखच भरे रहते हैं। लेकिन इस नैसर्गिक सुंदरता के बीच एक अदृश्य खतरा भी सर उठा रहा है, सेल्फी और रील्स का जुनून, जो पर्यटकों को सीधे मौत के मुंह तक ले जा रहा है।

खूबसूरती को कैद करने की होड़, सुरक्षा से समझौता

आज सोशल मीडिया का ज़माना है। हर व्यक्ति अपने हर पल को इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और रील्स के ज़रिए दुनिया को दिखाना चाहता है। इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब यह जुनून सोच-समझ को पीछे छोड़ देता है, तब समस्या खड़ी होती है। डेंजर ज़ोन में जाकर (Social Media Craze) फोटोशूट करना, झरनों के किनारों तक फिसलन भरे पत्थरों पर चढ़ना, बहाव के बीच में खड़े होकर रील बनाना, ये सब हर साल बस्तर जैसे इलाकों में जानलेवा हादसों का कारण बन रहे हैं।

सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम अब भी नहीं

बस्तर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ देशभर से आने वाले पर्यटक घुमने और पिकनिक मनाने आते हैं। लेकिन अधिकतर स्थलों पर सुरक्षा के पुता इंतजाम नहीं हैं। जलप्रपातों के करीब जाकर फोटो लेते समय हादसे की आशंका बनी रहती है। पहले भी कई लोगों की जानें जा चुकी हैं, इसके बावजूद प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

छत्तीसगढ़ के इन जलप्रपात में हो चुके हैं हादसे

तीरथगढ़ जलप्रपात

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित यह जलप्रपात कांगेर नाले पर बना है और 300 फीट ऊंचाई से गिरता है। हाल ही में यहां विशाखापट्टनम से आए एक युवक की ऊंचाई से गिरकर मौत हो चुकी है। लगभग हर साल यहां से हादसों की खबर आती रहती है।

चित्रकोट जलप्रपात

इंद्रावती नदी पर चित्रकोट में बनने वाले 90 मीटर ऊंचा यह जलप्रपात बस्तर का ’नियाग्रा फॉल’ कहलाता है। मानसून में यहां रिकार्ड पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से यह सबसे खतरनाक स्थल भी है। सुरक्षा मानकों की कमी के कारण यह क्षेत्र ‘सुसाइड पॉइंट’ के रूप में भी बदनाम है।

तामड़ा घूमर जलप्रपात

यह झरना पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है, लेकिन यहां न तो रेलिंग है और न ही कोई चेतावनी बोर्ड। सड़क से लगभग 10 किमी दूर जंगल में स्थित यह स्थल 100 मीटर ऊंची खाई के समीप है, जहां कई पर्यटक पहले भी गिरकर जान गंवा चुके हैं।

मानसून में अन्य जलप्रपात भी खतरनाक

चित्रधारा, शिवगंगा, कांगेरधारा, झूलना दरहा, रानी दरहा, भैसा दरहा जैसे मौसमी झरनों में भी मानसून के दौरान पर्यटकों की भीड़ बढ़ रही है। लेकिन यहां भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।

कितनी कीमत है एक ‘लाइक’ की?

रील्स के लिए कोई रेल की पटरी पर लेटता है, कोई नदी में छलांग लगाता है, तो कोई सैल्फी के लिए खाई के मुहाने तक जा पहुंचता है।
प्रश्न ये है: क्या सोशल मीडिया की वाहवाही और वर्चुअल लाइक्स की कीमत इतनी बड़ी होनी चाहिए कि इसके लिए जान ही दांव पर लगा दी जाए?

सोशल मीडिया पर 'लाइक्स' की होड़, जोखिम की अनदेखी

आज का युग सोशल मीडिया का है। हर पर्यटक चाहता है कि उसके पास ऐसी तस्वीरें हों जो दूसरों से अलग हों, जो इंस्टाग्राम या फेसबुक पर लाइक्स बटोरें। लेकिन इसी ‘परफेक्ट मोमेंट’ की (Social Media Craze) तलाश कई बार जानलेवा साबित होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल दर्जनों लोग सेल्फी लेते वक्त जान गंवा देते हैं। इनमें अधिकांश घटनाएं जलप्रपात, पहाड़ और रेलवे ट्रैक जैसे संवेदनशील स्थानों पर होती हैं।

जरूरी है सामूहिक जागरूकता

सावन का सौंदर्य मन मोह (Social Media Craze) लेता है, लेकिन यह सावधानी के बिना नहीं भोगा जा सकता। केवल प्रशासनिक रोक ही काफी नहीं है- जनजागरूकता, जिम्मेदारी और आत्मसंयम की भी आवश्यकता है।