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देखी है कभी इतनी बड़ी Fish? मछुआरों के जाल में फंसी दुर्लभ ‘बोध’ प्रजाति की मछली, 150 किलो तक होता है वजन

CG News: चित्रकोट जलप्रपात से कुछ दूर ककनार घाट के पास चंदेला और धर्माबेड़ा के बीच शनिवार को इ्द्रांवती नदी में मछुआरों को जाल में एक बड़ी मछली फंसी दिखी।

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दुर्लभ ‘बोध’ प्रजाति की मछली (फोटो सोर्स- Facebook)

दुर्लभ ‘बोध’ प्रजाति की मछली (फोटो सोर्स- Facebook)

जगदलपुर @मनोज साहू। CG News: चित्रकोट जलप्रपात से कुछ दूर ककनार घाट के पास चंदेला और धर्माबेड़ा के बीच शनिवार को इ्द्रांवती नदी में मछुआरों को जाल में एक बड़ी मछली फंसी दिखी। जाल से निकालने पर इसका वजन 15 किलो से अधिक निकला है।

ग्रामीणों के मुताबिक यह ’बोध’ प्रजाति की मछली है। स्थानीय ग्रामीण इसे ’बस्तर की शार्क’ कहते हैं। कभी शबरी और इन्द्रावती की पहचान रही यह मछली अब सिर्फ इन्द्रावती नदी के ककनार घाट से लेकर बोधघाट तक ही देखी जाती है। इसका जुलाजीकल नाम बोमरियस है।

विलुप्ति की ओर बोध, संरक्षण जरूरी

स्थानीय जानकारों का कहना है कि बोध मछली अब विलुप्ति की कगार पर है। इसकी न संरक्षण की व्यवस्था है, न संवर्धन की कोई योजना। पहले जहां बाढ़ या बारिश के मौसम में इनका शिकार धड़ल्ले से होता था, वहीं अब कभी-कभार ही इसकी झलक दिखती है।

150 किलो तक की होती थी यह मछली

मछुआरों के मुताबिक बोध मछली का वजन 100 से 150 किलो तक होता था। अब इस आकार की मछली दुर्लभ हो गई है। वर्तमान में ये मछलियां कम दिखती हैं और आकार में भी छोटी होती जा रही हैं। इसे वे लोग बाजार में बेचकर आजीविका कमा रहे हैं।

देवी के रूप में होती है पूजा

बोध मछली सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि आस्था का भी प्रतीक है। इसकी संरचना और आक्रामक स्वभाव को देखते हुए जानमाल की रक्षा के लिए इसे देवी का दर्जा दिया गया है। चित्रकोट जलप्रपात के नीचे एक खोह में बोध मछली के नाम पर सैंकड़ों वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर आज भी मौजूद है। यहां हर साल कुड़ुक जनजाति के मछुआरे जात्रा लगाते हैं और इस मछली की पूजा करते हैं।