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Patrika Explenar: नक्सली बस्तर में तेजी से अपना आधार क्षेत्र खोते जा रहे हैं। यही कारण है कि वह अब तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां भी मौत उनका इंतजार कर रही है। इस वक्त छत्तीसगढ़ से लगे तेलंगाना, आंध्र, ओडिशा और महाराष्ट्र में भी फोर्स अलर्ट पर है। जब नक्सली यहां से सेफ कॉरिडोर तैयार कर बॉर्डर के आसपास पहुंचते हैं तो उन्हें सीमावर्ती राज्यों की फोर्स घेरकर ढेर कर देती है। गरियाबंद में मंगलवार को हुई मुठभेड़ इसका ताजा उदाहरण है।
बस्तर से भी तेलंगाना और ओडिशा की ओर जाते नक्सली मारे जा रहे हैं। अब उन्हें बॉर्डर क्रासिंग भारी पड़ रही है। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के लीडर्स को भी अब उनका संगठन सुरक्षा नहीं दे पा रहा है। गरियाबंद मुठभेड़ में जहां चलपति जैसा बड़ा लीडर मारा गया है तो वहीं पिछले दिनों बीजापुर में तेलंगाना बॉर्डर के करीब तेलंगाना स्टेट कमेटी के सेक्रेटरी दामोदर का ढेर कर दिया गया था। इस तरह देखें तो अब नक्सलियों की तगड़ी घेराबंदी हो चुकी है। वे इस तरह से घिर चुके हैं कि वे जहां जा रहे हैं मारे जा रहे हैं।
इंटेलीजेंस के सूत्र बताते हैं कि बस्तर में नक्सलियों का कुशल संगठक रहा और दरभा डिविजन कमेटी को स्थापित करने वाले गणेश उइके को इस वक्त संगठन ने उदंती सीतानदी और ओडिशा के नुआपाड़ा इलाके में संगठन के आधार को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को गरियाबंद में हुई मुठभेड़ के आसपास गणेश उइके की मौजूदगी थी और वह वहां से सुरक्षित निकल गया। बस्तर में गणेश उइके का बड़ा नाम है और अब वह अपनी कुशलता बस्तर से बाहर दिखाने में जुटा हुआ है।
तेलंगाना में जहां ग्रेहाउंस तो वहीं ओडिशा में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी की घेराबंदी की वजह से नक्सली अब ज्यादा कुछ कर नहीं पा रहे हैं। एओबी यानी आंध्र-ओडिशा बॉर्डर में एक बार फिर स्पेशल जोनल कमेटी स्थापित करने में जुटे हैं लेकिन जिस तरह से उन्हें घेरा गया है उसके चलते फिलहाल तो वे खुद को सुरक्षित रखने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। बस्तर से लगे मलकानगिरी इलाके में भी नक्सली अब कमजोर पड़ चुके हैं।
नक्सली इस वक्त एओबी के साथ महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जोन के अलावा दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में संघर्ष कर रहे हैं। इन तीनों इलाकों में नक्सलियों की कभी तूती बोलती थी लेकिन अब नक्सली यहां इतने कमजोर पड़ चुके हैं कि उन्हें नए सिरे से अपने संगठन को खड़ा करना पड़ रहा है। गणेश उइके जैसे नक्सल लीडर अभी इसी काम को संभाल रहे हैं।
एमएमसी में बालाघाट, मंडला के अलावा महाराष्ट्र के गोंदिया में नक्सलियों की तगड़ी पकड़ थी लेकिन अब वह बेहद कमजोर हो चुकी है। इन इलाकों से नक्सलियों को शिफ्टिंग करना भी भारी पड़ रहा है। तेलंगाना के नल्ला-मल्ला के जंगल, मुलग भद्रादी, कोत्तागुड़म और खम्मम जिले से लगे हुए इलाके में उनका बेस अभी भी है, लेकिन वे वहां फोर्स का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं।
1 दिसंबर 2024
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना बॉर्डर पर ग्रेहाउंड्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। मुलुगु जिले इथुरुनगरम इलाके में 7 नक्सलियों को फोर्स ने तब मारा था जब वे छत्तीसगढ़ से बॉर्डर क्रॉस कर रहे थे।
16 जनवरी 2024
बीजापुर जिले में तेलंगाना-छत्तीगढ़ बॉर्डर के करीब पुजारी कांकेर के जंगलों में हुई मुठभेड़ तेलंगाना स्टेट कमेटी के सचिव दामोदर समेत 18 नक्सली मारे गए थे। इंटेलीजेंस के सूत्र बताते हैं कि सभी नक्सली सुरक्षित तरीके से बॉर्डर क्रॉसिंग करने वाले थे लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें घेरकर ढेर कर दिया।
22 जनवरी 2024
गरियाबंद से लगे ओडिशा बॉर्डर में कुल्हाड़ीघाट में हुई मुठभेड़ में अब तक 15 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। यहां छत्तीसगढ़ पुलिस को सबसे बड़ी सफलता चलपति की मौत के रूप में मिली। वह पोलित ब्यूरो मेंबर के साथ ही नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का मेंबर भी था। यहां भी शिफ्टिंग के बीच बॉर्डर क्रॉसिंग नक्सलियों को भारी पड़ी।
Updated on:
23 Jan 2025 11:34 am
Published on:
23 Jan 2025 08:53 am
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