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Bastar Dussehra: बस्तर दशहरा में अनोखी प्रथा, यहां देवी-देवता कतार में लगकर लेते हैं राशन

Bastar Dussehra: बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए संभाग भर से एक हजार से अधिक ग्राम देवी- देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। यह देवी-देवता अपने पुजारी, गायता व सहयोगियों के साथ जगदलपुर पहुंच गए हैं।

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Bastar Dussehra

Bastar Dussehra: बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए संभाग भर से एक हजार से अधिक ग्राम देवी- देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। यह देवी-देवता अपने पुजारी, गायता व सहयोगियों के साथ जगदलपुर पहुंच गए हैं। इन देवी- देवताओं की पूजा-अर्चना व जगदलपुर रहने के दौरान राशन- पानी की पूरी व्यवस्था टैंपल कमेटी करती आई है।

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देवी- देवताओं के लिए चावल, दाल, तेल, हल्दी सहित अन्य अनाज का वितरण तहसील कार्यालय से किया जा रहा है। तहसील कार्यालय के भंडार गृह में सुबह से ही इन देवी-देवताओं के छत्र, लाट व अन्य प्रतीक चिह्न लेकर इनके प्रतिनिधि कतार लगाकर पहुंचते हैं। वे यहां रखे हुए रजिस्टर पर अपने देवी-देवता के नाम अनाज का लेते हैं।

सभी देवताओं को दिए जाने वाले अनाज का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। इनके अलावा जो देवी- देवता दशहरा पर जगदलपुर नहीं आ पाते हैँ, उनके मंदिरों तक यह राशन पहुंचाया जाता है।

भंडारीन माता हैँ इनकी प्रमुख सप्लायर

देवी-देवताओं व मंदिरों तक पूजन सामान व राशन का सामान सही तौर व निर्बाध वितरण हो इसकी जिम्मेदारी भंडारीन माता की होती है। दशहरा पर्व शुरू होने के एक दिन पहले व दशहरा पर्व के समापन के बाद तक राजूर गांव से आईं भंडारीन माता भंडार गृह में बैठी रहती हैं। तहसील कार्यालय के एक कक्ष में भंडारीन माता का छत्र रखा गया है। इनकी सुबह पूजा की जा रही है। इसके बाद इनकी आज्ञा से राशन की सप्लाई की जाती है। यहां कतार में लगकर ही देवी-देवताओं को राशन देने की परंपरा है।

माता की है जिम्मेदारी

माता के पुजारी कनई ने बताया कि भंडारीन माता ही सभी के पूजन सामग्री व राशन वितरण का प्रभार देखती हैं। इसमें कभी कोई कमी नहीं आई है। हमारे पास तीस बड़े मंदिर व साढ़े चार सौ छोटे मंदिर की सूची है। इसके अलावा देवी- देवताओं के नाम दर्ज हैं। इन्हें दशहरा पर्व के दिनों व उसके बाद रवाना होने तक राशन दिया जाता है।