
शादाब अहमद/जयपुर। राज्य में सरकारी कामकाज का ढर्रा देखिए, साढ़े नौ साल पहले जिस मेहरानगढ़ दुखान्तिका में 216 लोगों की मौत हुई थी, गृह विभाग उसकी फाइल ही रखकर भूल गया। गत दिनों राजस्थान हाइकोर्ट ने 16 अप्रेल तक जवाब देने या मुख्य सचिव को पेश होने के निर्देश दिए तब जाकर गृह विभाग और सरकार की तन्द्रा टूटी है। जस्टिस चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट को अब कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी की जा रही है।
गौरतलब है कि जोधपुर के मेहरानगढ़ स्थित चामुंडा माता मंदिर में 30 सितम्बर 2008 को मची भगदड़ में 216 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। इसे लेकर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाया गया था। आयोग ने करीब ढाई साल बाद 2011 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1000 पन्नों की इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कैबिनेट में रखने और भविष्य में ऐसे हादसे रोकने का वादा किया था। इस बीच 2013 में भाजपा की सरकार आ गई। दिसम्बर 2016 में मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट को कैबिनेट में रखने के आदेश दिए लेकिन गृह विभाग सुस्त रहा।
ऐसा रवैया : एक ने कहा दे दी, दूसरे ने कहा हमारे पास नहीं है
मानाराम ने याचिका दायर कर मेहरानगढ़ दुखांतिका के मद्देनजर गठित चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट तथा उसके आधार पर सरकार की ओर से की गई कार्रवाई सार्वजनिक करने की मांग की थी। इस पर गत माह हाइकोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट पर अब तक की गई कार्रवाई का 16 अप्रेल तक विवरण पेश करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए। साथ ही मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए। इससे सरकार में खलबली मची और मुख्य सचिव ने गृह विभाग से जानकारी मांगी। विभाग ने कह दिया कि आयोग की रिपोर्ट तो कैबिनेट सचिवालय में है जबकि कैबिनेट सचिवालय ने मुख्य सचिव को जवाब दिया कि उनके पास ऐसी कोई फाइल नहीं है। चार दिन तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद आखिरकार गृह विभाग से यह फाइल २ दिन पहले कैबिनेट सचिवालय पहुंचाई गई। अब उसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी की जा रही है।
रिपोर्ट सार्वजनिक करने से बच रही सरकार?
सरकार की ढिलाई के कारण चोपड़ा आयोग जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है। सूत्रों की मानें तो विस्तृत व गहन पड़ताल के बाद तैयार की रिपोर्ट में आयोग ने मेहरानगढ़ हादसे के लिए जिम्मेदारों और कारणों के बारे में बताया है। भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए सिफारिशें भी की हैं। रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर कई पहलुओं से पर्दा हट सकेगा।
जांच के लिए जस्टिस जसराज चोपड़ा का अयोग बनाया
मामले में पुलिस ने एक मर्ग दर्ज किया, किसी की कोई अन्य रिपोर्ट नहीं ली। सरकार ने जांच के लिए जस्टिस जसराज चोपड़ा का अयोग बनाया। हादसे के बाद तत्कालीन एसपी-कलक्टर के तबादले किए गए। इसके बाद आयोग की कारवाई लगभग 1500 दिन चली, 222 पीडि़तों और 59 अफसरों के बयान लिए। प्रदेश के सभी मंदिरों का दौरा किया।
यात्राओं पर 3.23 लाख, वेतन पर 105.27 लाख, चिकित्सा पर 1.75 लाख, गाडि़यों के किराए पर 18.60 लाख और रॉयल्टी के 32.93 लाख मिलाकर कुल दो करोड़ रुपए खर्च हुए। - सरकार ने आज दिन तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की और न ही किसी की जिम्मेदारी तय हुई। पुलिस का मर्ग भी पेडिंग है। पुलिस के अनुसार चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट पर ही पुलिस की जांच रिपोर्ट तय होगी।
मेहरानगढ़ संबंधी जस्टिस चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट कैबिनेट में भेज रखी है। आज छुट्टी का दिन है इसलिए अभी नहीं बता सकता कि यह कब गई है।
- चेतन देवड़ा, संयुक्त सचिव, गृह (आपदा प्रबंधन)
Updated on:
09 Apr 2018 12:40 pm
Published on:
09 Apr 2018 09:28 am
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