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धौलपुर से ‘चंबल का पानी’ भरतपुर लाने के लिए 90 KM तक बिछेगी पाइपलाइन, इस नई तकनीक का होगा इस्तेमाल

धौलपुर से चंबल का पानी भरतपुर लाने के लिए 90 किलोमीटर तक बिछाई जा रही 1300 एमएम की पाइपलाइन को जंग से बचाने के जतन किए जा रहे हैं।

dholpur to bharatpur pipeline
Photo- AI

जलदाय विभाग व जलजीवन मिशन की हजारों करोड़ तक की पेयजल परियाजनाओं में बिछाई जा रही बड़ी पाइपलाइन जंग के कारण सुरक्षित नहीं है और इनका जीवनकाल भी धीरे-धीरे कम होता जाता है। ऐसे में विभाग अब हाईटेक कोटिंग का सहारा ले रहा है, जिससे महंगी पाइपलाइन जंग नहीं खाए। धौलपुर से चंबल का पानी भरतपुर लाने के लिए 90 किलोमीटर तक बिछाई जा रही 1300 एमएम की पाइपलाइन को जंग से बचाने के जतन किए जा रहे हैं।

लाइन को जंग नहीं खाए इसके लिए परंपरागत इपोक्सी की जगह पहली बार हाईटेक 0.5 एमएम पॉलीयूरेथिन कोटिंग का उपयोग किया जा रहा है, जिससे लाइन 15 की जगह 30 साल से ज्यादा समय तक जंग से सुरक्षित रहेगी। पॉलीयूरेथिन तकनीक कोटिंग से मलेशिया सरकार वहां 200 किमी की लाइन बिछाना चाहती है और भरतपुर के प्रोजेक्ट इंजीनियरों से इसकी जानकारी ली है।

स्कोर वॉल्व जंग लगने से हो रहे लीक

बीसलपुर से जयपुर तक बिछाई गई 2300 एमएम की पाइपलाइन से 2009 में पानी की सप्लाई शुरू हुई। लाइन अब 16 साल पुरानी हो चुकी है। पानी के साथ आने वाली मिट्टी के कारण लाइन और स्कोर वॉल्व जंग लगने के बाद लीक हो रहे हैं या फट रहे हैं। ऐसे में अब विभाग जल जीवन मिशन और शहरी पेयजल परियोजनाओं के बडे प्रोजेक्ट्स की पाइपलाइन को पॉलीयूरेथिन कोटिंग के साथ बिछाने की तैयारी में है।

कोटिंग से लाइन का दोगुना हो जाता जीवनकाल

भरतपुर प्रोजेक्ट के अतिरिक्त मुख्य अभियंता सुरेन्द्र शर्मा ने बताया कि बडे प्रोजेक्ट्स में पाइपलाइनों को लंबे समय तक जंग लगने से बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि पानी के साथ मिट्टी व सल्फेट, क्लोराइड जैसे अवयव आते हैं, जिससे लाइन में जंग लगना शुरू हो जाता है। पाइपलाइन के भीतरी हिस्से में पॉलीयूरेथिन कोटिंग से लाइन का जीवनकाल दोगुना हो जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कोटिंग को लाइन के ऊपर भी किया जा सकता है।

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