26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बैकफुट पर आई गहलोत सरकार, भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला आदेश ACB ने लिया वापस

भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला आदेश गहलोत सरकार ने वापस ले लिया है। एसीबी वापस बैकफुट पर आ गई है। एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने 4 जनवरी को यह आदेश जारी किया था कि एसीबी ट्रेप के आरोपियों के नाम व फोटो को उजागर नहीं किया जाएं।

1 minute read
Google source verification
बैकफुट पर आई गहलोत सरकार, भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला आदेश एसीबी ने लिया वापस

बैकफुट पर आई गहलोत सरकार, भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला आदेश एसीबी ने लिया वापस

जयपुर। भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला आदेश गहलोत सरकार ने वापस ले लिया है। एसीबी वापस बैकफुट पर आ गई है। एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने 4 जनवरी को यह आदेश जारी किया था कि एसीबी ट्रेप के आरोपियों के नाम व फोटो को उजागर नहीं किया जाएं। अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसीबी के इस आदेश का जमकर विरोध हुआ। जिसके बाद एसीबी को मजबूरन यह आदेश वापस लेना पड़ा है।

यह भी पढ़ें : राजस्थान में रिश्वतखोरी के आरोपी की पहचान अब नहीं होगी उजागर

वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस आदेश को वापस लेने के संकेत दिए थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए रिव्यू कराने के लिए कहा था। वही सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास व अन्य ने भी इस आदेश को गलत बताया था। इसके अलावा भाजपा की ओर से एसीबी को घेरा गया। भाजपा ने आरोप लगाया था कि यह आदेश आरोपियों को बचाने के लिए निकाला गया है। जिसके बाद गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप लगे।

यह आदेश हुए थे जारी...

डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने आदेश जारी किया था कि ट्रेपशुदा आरोपी, संदिग्ध का नाम व फोटो सार्वजनिक नहीं करे। यह आदेश सभी एसीबी के सभी चौकी व यूनिट प्रभारी को जारी किए गए थे। आदेश में था कि ब्यूरो टीम द्वारा की गई कार्यवाही के पश्चात जब तक प्रकरण, आरोपी का न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध नहीं हो जाता तब तक आरोपी का नाम, फोटो मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति, विभाग में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आरोपी जिस विभाग में कार्यरत है। उसका नाम व आरोपी के पदनाम की सूचना मीडिया में सार्वजनिक नहीं की जाएगी। ब्यूरो की अभिरक्षा में जो भी संदिग्ध या आरोपी है। उसकी सुरक्षा और मानवाधिकार की रक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी ट्रेपकर्ता अधिकारी या अनुसंधान अधिकारी की होगी।