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कभी बगावती तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट की नसीहत, आलाकमान का निर्णय मानने में ही सबकी भलाई

पायलट के मीडिया मैनेजर के आग्रह पर मैं बुधवार सुबह ठीक 11 बजे सिविल लाइन्स में सचिन के सरकारी बंगले पर पहुंचा। ढोल-ढमाकों की आवाज के बीच सचिन पायलट जिन्दाबाद के नारे।

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हरेन्द्र सिंह बगवाड़ा

.पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर के आग्रह पर मैं बुधवार सुबह ठीक 11 बजे सिविल लाइन्स में सचिन के सरकारी बंगले पर पहुंचा। ढोल-ढमाकों की आवाज के बीच सचिन पायलट जिन्दाबाद के नारे। ज्यादातर कम उम्र के कस्बाई लोग। धोती-कुर्ता पहने कुछ किसान भी नजर आए। तेज खिली हुई धूप के बीच जैसे ही पूर्व उप मुख्यमंत्री अपने कमरे से लॉन में आए, मौजूद लोगों का जोश और बढ़ गया। माथे पर पसीने की परवाह किए बिना कार्यकर्ता तेजी से सचिन की ओर लपके। ढ़ोल की आवाज तेज हो गई। सफेद कुर्ता-पायजामा पहने, क्लीन शेव में दिख रहे सचिन के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखे। मानों इस माहौल का उन पर कोई असर ही नहीं दिखा। वे शांत रहे। वहां खड़े अलग-अलग समूहों में खुद जाकर एक-एक व्यक्ति से मिले। सचिन के हाव-भाव देख कर मुझे अहसास हुआ कि राहुल गांधी ने सचिन की तारीफ ऐसे ही नहीं की।

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राहुल ने धैर्य रखने के लिए सचिन से सीख लेने की बात कही थी। लगा ही नहीं कि ये वही सचिन है जिन्होंने दो साल पहले बगावती तेवर दिखाए थे। एकदम अनुशासित, पार्टी लाइन पर चलने वाला पक्का कांग्रेसी। मौका लगते ही... वे मीडिया कर्मियों से मुखातिब हुए। कुछ खास खबर निकालने की फिराक में बैठे संवाददाताओं ने उनसे कई सवाल पूछे, लेकिन वे इधर-उधर नहीं हुए। बिल्कुल वहीं बात कही जो पार्टी और सरकार के अनुकूल हो। बढ़ती महंगाई और अपराधों पर रटाए से जवाब। मुख्यमंत्री के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सवाल पर उन्होंने यह जरूर कहा... 'राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं, और जो दिखता है वह होता नहीं। मैं खुद या राजस्थान का कोई भी नेता हो, हमें पार्टी से जो भी निर्देश मिले उनको हमने पहले भी माना है और आगे भी मानेंगे.।' लगा जैसे गहलोत को नसीहत दे रहे हों, कि आलाकमान का निर्णय मानने में ही सबकी भलाई है।

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नौजवानों की उम्मीदों पर ध्यान देना चाहिए
छात्रसंघ चुनावों में एनएसयूआइ की जो किरकिरी हुई, उस पर जरूर सचिन थोड़े तैश में दिखे। बोले....'ऐसा बहुत सालों में पहली बार हुआ है। एनएसयूआइ सभी यूनिवर्सिटी में चुनाव हार जाए। इसे लेकर हम लोगों को चिंता करनी चाहिए कि कमी कहां रह गई, क्या कैंडिडेट सलेक्शन गलत हुआ, प्रचार में कमी रह गई या फिर सरकार की कामयाबी और सरकार के चार साल के कार्यकाल को हम जनता के सामने लेकर नहीं गए। नौजवान प्रदेश का सबसे बड़ा हिस्सा है, नौजवानों की भावना, सोच और जो उम्मीदें हैं उनको कैसे पूरी करनी है? उस पर ध्यान देना चाहिए।'