अथर्ववेद, तैत्तरीय संहिता, शतपथ ब्राम्हण आदि ग्रंथों में इस नक्षत्र का व्यापक वर्णन किया गया है। ऐसा जातक सभी कलाओ का विशेषज्ञ, शत्रुहंता, इन्द्रियों पर नियंत्रण करने वाला होता है। जातक को अपनी योग्यता पर पूर्ण विश्वास रहता है और वह पर्याप्त धन कमाने में सफल रहता है. इनके दोस्त प्राय: धनी रहते हैं. ऐसे जातक आम लोगों की अपेक्षा अधिक सोने वाले होते हैं।
पुरुष – ये मध्यम कद के होेते हैं। ऐसे जातक प्राय: शांतिप्रिय होते हैं और स्वादिष्ट भोजन प्रिय होते हैं। 23 से 34 तक अप्रत्याशित उन्नति करते हैं और 40 से 54 के मध्य स्थिरता आ जाती है। ऐसे पुरुष व्यापारी, कोषालय कार्यकारी, लेखक, अभिनेता, ज्योतिषी, शासकीय सेवक होते हैं। आमतौर पर इन्हें मां का प्यार-दुलार कम मिल पाता है।
महिला – इनमें अधिकांश गुण दोष तो पुरुष जैसे ही होते हैं पर शारीरिक रूप से कुछ रहता है।
ये गठे हुए बदन की सुंदर होती हैं। बहुत ईमानदार और साथ ही निष्कपट भी होती हैं। ये महिलाएं जन्मजात नेता होती हैं। सामान्यत: अध्यापिका, सांख्यक, गणक, ज्योतिषी होती हैं।
पति और संतान से विशेष लगाव होता है। गृह कार्य में कुशल होती हैं।
वराहमिहिर ने लिखा है कि पूर्वा भाद्रपद के जातक प्राय: तनावग्रस्त रहते है और शांति की खोज में अक्सर भटकते रहते हैं. ऐसे जातक बाहरी लोगों पर खासतौर पर स्त्रियों पर पैसा खर्च करते हैं। वैसे ये लोग चतुर होते हैं लेकिन स्त्रियां इन्हें मूर्ख बनाकर पैसे ठगती रहती हैं।