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राजस्थान से बड़ी खबर, 42 साल के पति का हुआ लिवर खराब, पत्नी ने दिया अपना हिस्सा, बचाई जान

कहते हैं कि पत्नी सिर्फ जीवनसंगिनी नहीं, बल्कि मुश्किल वक्त में सबसे बड़ी ताकत भी होती है। इसका जीता-जागता उदाहरण जयपुर में सामने आया है।

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जयपुर। कहते हैं कि पत्नी सिर्फ जीवनसंगिनी नहीं, बल्कि मुश्किल वक्त में सबसे बड़ी ताकत भी होती है। इसका जीता-जागता उदाहरण जयपुर में सामने आया है। जहां एक महिला ने अपने पति की जिंदगी बचाने के लिए अपने लिवर का हिस्सा दान कर दिया। एसएमएस अस्पताल में लाइव लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है।

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ दीपक माहेश्वरी ने बताया कि मरीज 42 वर्षीय जयपुर निवासी है, जो लंबे समय से लिवर संक्रमण से जूझ रहा था। हालात इतने गंभीर हो गए कि डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट को ही अंतिम विकल्प बताया। ऐसे में पत्नी ने हिम्मत दिखाई और अपने लिवर का हिस्सा दान करने का फैसला किया। दो महीने तक चली तैयारी और 15 घंटे लंबे ऑपरेशन के बाद यह ट्रांसप्लांट सफल रहा। कल शाम करीब सात बजे यह आपरेशन कंपलीट हुआ। फिलहाल डोनर और रिसीवर दोनों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है। दोनों सात दिन तक डॉक्टरों की देखरेख में रहेंगे।

ट्रांसप्लांट से पहले डोनर और रिसिपिएंट की कई महत्वपूर्ण जांचें की गईं। ब्लड ग्रुप और लिवर के आकार का मिलान किया गया, साथ ही टिश्यू टाइपिंग और मेडिकल हिस्ट्री की गहन जांच भी पूरी हुई। मरीज का लिवर लगभग पूरी तरह खराब हो चुका था और काम करना बंद कर चुका था। ऐसे में पत्नी ने अपना करीब 40 प्रतिशत लिवर दान कर दिया। डॉक्टर्स के अनुसार लिवर का विशेष गुण यह है कि यह समय के साथ फिर से विकसित हो जाता है, इसलिए डोनर का भविष्य सुरक्षित रहता है।

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि लाइव लिवर ट्रांसप्लांट बेहद जटिल प्रक्रिया है, जिसमें दो टीमों को एक साथ ऑपरेशन करना होता है। इस केस में भी दो सर्जिकल टीमों ने एक साथ काम किया।

अब तक एसएमएस अस्पताल में 13 लिवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, लेकिन वे सभी कैडेवर यानी मृतक डोनर से हुए थे। इस बार पहली बार जीवित दानकर्ता सामने आई और वह भी पत्नी, जिसने अपने पति की जिंदगी बचाने के लिए इतना बड़ा फैसला लिया। प्रदेश में लगभग सात हजार मरीज ऐसे हैं जिन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। निजी अस्पतालों में इसकी लागत 20 से 25 लाख रुपए तक होती है, जबकि एसएमएस अस्पताल में यह नि:शुल्क किया गया है।


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