31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को किया उम्रकैद से बरी, यह है पूरा मामला…

राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सिरोही की निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को बदल दिया है।

2 min read
Google source verification
पत्रिका फाइल फोटो

पत्रिका फाइल फोटो

राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सिरोही की निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को बदल दिया है। जस्टिस मनोज कुमार गर्ग और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने आरोपी संजय कुमार की अपील स्वीकार कर उसे दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुख्य गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास हैं और ठोस साक्ष्यों का अभाव है। इसी आधार पर आरोपी की तुरंत रिहाई के आदेश दिए गए।

मामला 20 अप्रैल 2015 का है, जब पिंडवाड़ा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि संजय कुमार ने मदन झा की हत्या पिकअप वैन से टक्कर मारकर की। शिकायतकर्ता संजीत झा ने बताया था कि घटना से पहले संजय ने मदन की पत्नी रंजू झा से गलत संबंध बनाने की कोशिश की थी और इस वजह से दोनों परिवारों में दुश्मनी थी। 19 अप्रैल 2015 को आरोपी ने धमकी दी थी कि वह मदन झा की हत्या कर देगा। उसी रात मदन झा को वाहन ने टक्कर मार दी और उसकी मौत हो गई।

निचली अदालत ने 3 मई 2016 को संजय को दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित था और इनमें गंभीर खामियां थीं।

मुख्य गवाह संजीत झा ने कहा कि उसे पत्रकार विक्रम पुरोहित ने घटना की सूचना दी थी, लेकिन वह अदालत में पेश नहीं हुआ। वहीं मृतक की पत्नी रंजू झा ने कहा कि जानकारी परवेज ने दी थी, लेकिन परवेज को अदालत में पक्षद्रोही घोषित किया गया और उसने साफ कहा कि वह मृतक को नहीं जानता। इससे अभियोजन की कहानी कमजोर हो गई।

कोर्ट ने कहा कि दुश्मनी दोधारी तलवार है—यह मकसद भी देती है और झूठे आरोप लगाने का खतरा भी। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि बिना ठोस सबूत केवल दुश्मनी के आधार पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता।

पिकअप वैन पर पेंट और साइकिल की टक्कर के निशान भी पर्याप्त नहीं माने गए। ‘लास्ट सीन थ्योरी’ और निर्णायक परिस्थितिजन्य साक्ष्य साबित नहीं हो पाए। इस आधार पर हाईकोर्ट ने संजय कुमार को दोषमुक्त करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना और बॉन्ड भरने का निर्देश भी दिया।