आरएमएससीएल की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि ने बताया कि दवाओं की गुणवत्ता और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करना निगम की प्राथमिकता है। इस दिशा में बड़ी कार्रवाई करते हुए 32 फर्मों को एक वर्ष, 8 फर्मों को दो वर्ष, और 2 फर्मों को तीन वर्ष तक टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है।
उन्होंने बताया कि निगम की नीति के अनुसार, प्रत्येक आपूर्तित दवा के हर बैच की गुणवत्ता की जांच अनुमोदित लैब में की जाती है। केवल जांच में उत्तीर्ण दवाओं को ही अस्पतालों में वितरित किया जाता है। प्रारंभिक जांच में अमानक पाई गई इन दवाओं की आगे पुष्टि होने पर यह सख्त कदम उठाया गया है।
यह निर्णय प्रदेश में मरीजों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।