जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर बाजवा ने कोर्ट में कहा, एसीबी के जिस मामले के आधार पर ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की है, उस एफआईआर में महेश जोशी का नाम तक नहीं था। एसीबी की ओर से पेश चार्जशीट में भी जोशी का नाम नहीं था। इसके अलावा जिस लेन-देन को लेकर ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की वह जुलाई 2023 में जोशी के बेटे की कंपनी ने लोन के रूप में लिया।
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अधिवक्ता ने बताया, 50 लाख रुपये का यह लोन कुछ माह बाद ही लौटा दिया गया। ईडी ने इस मामले में जोशी को मार्च 2024 में समन जारी की, जिसका जवाब ईडी को भेज दिया गया। इसके बाद ईडी ने एक साल तक कोई कार्रवाई नहीं की। अब राजनीतिक द्वेष के कारण उनको फंसाया जा रहा है और 24 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया।
टेंडर घोटाले में भी हुई थी गिरफ्तारी
जोशी से पहले जेजेएम घोटाले में पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। आरोप है कि श्रीश्याम ट्यूबवेल कंपनी और मेसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी से जुड़े पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पेशकर जलदाय विभाग से करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल किए। इस बारे में एसीबी ने जांच शुरू की, जिसके आधार पर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी।