
अरविन्द सिंह शक्तावत
राज्य में भाजपा ने सरकार में आने के बाद आरपीएससी को भंग करने का वादा किया था। भाजपा सरकार बने डेढ माह हो चुका है, लेकिन यह वादा पूरा होना इतना आसान नहीं है। दो दिन पहले राज्य की केबिनेट की पहली बैठक में भी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है। मंत्रियों की ओर से उठाए गए इस मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट कर दिया कि यह आसान नहीं है। आरपीएससी को भंग करने की जगह इसकी पारदर्शिता कैसे कायम हो। इस पर काम किया जाएगा। आरपीएससी के अध्यक्ष रह चुके दो पूर्व अध्यक्षों ने भी पत्रिका से बातचीत में यह साफ कर दिया है कि लोक सेवा आयोग को भंग करना राज्य की सरकारों के बस में नहीं है। इसे किसी ठोस और मजबूत कारण से राष्ट्रपति ही भंग कर सकता है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी ने चुनाव से पहले कहा था कि सरकार बनने के बाद आरपीएससी को भंग किया जाएगा। सरकार बनते ही इस पर काम भी शुरू हो गया। तीन वकीलों को इसका टास्क भी दिया गया, लेकिन कहीं से कोई रास्ता ही नहीं निकला। अब सरकार आरपीएससी में पारदर्शिता कैसे बने। इस पर मंथन करने में जुट गई है।
सरकार के पास यही एकमात्र विकल्प
आरपीएससी के किसी सदस्य को हटाना है, उसे भंग करना है या फिर नए सदस्यों के पद सृजित करने हैं तो राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर केन्द्र सरकार के माध्यम से राष्ट्रपति को भिजवाना होगा। राष्ट्रपति के आदेश के बिना कुछ नहीं हो सकता।
क्या कहता है संविधान
- संविधान के अनुच्छेद 317 के अनुसार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को उसके पद से सुप्रीम कोर्ट की जांच में दोषी पाए जाने और उसके रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश से ही हटाया जा सकता है। पूरे संघ को भंग करने का संविधान में कहीं जिक्र नहीं है। इसके लिए भी केन्द्र सरकार को अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करना होगा।
बाबू लाल कटारा आज भी है सदस्य
शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में आरपीएससी सदस्य बाबू लाल कटारा को गिरफ्तार हुए काफी समय हो चुका है, लेकिन संवैधानिक प्रक्रिया के चलते कटारा सदस्य पद से नहीं हट सके हैं। राज्य सरकार ने कटारा को बर्खास्त करने का प्रस्ताव काफी समय पहले राज्यपाल के माध्यम ये राष्ट्रपति को भेज रखा है।
क्या बोले आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष
किसी भी लोक सेवा आयोग को भंग करना संभव नहीं है। राष्ट्रपति को फाइल जाएगी तो ही कुछ हो सकता है। उस िस्थति में भी पूरी भंग होना तो संभव है ही नहीं। किसी सदस्य पर क्रिमिनल केस हो तो उस मामले में राष्ट्रपति को लिख सकते हैं। सरकार को अगर सदस्य भी बढ़ाने है तो विधानसभा में प्रस्ताव लाए और केन्द्र सरकार को भेजे। मैंंने अपने कार्यकाल में 110 परीक्षा करवाई थी और इसमें से 100 डिजिटल करवाए थे । इस वजह से कोई पेपर लीक नहीं हुआ।
- ललित के पंवार
आरपीएससी की साख गिरना चिंता का विषय है। कभी-कभी तो सोचता हूं कि क्या यही वो आरपीएससी है, जिसका मैं अध्यक्ष था। सच तो यही है कि आरपीएससी को भंग करना आसान नहीं है। यदि सुधार करने ही हैं तो सबसे पहले तो उच्च शिक्षित लोगों को सदस्य बनाया जाना चाहिए और परीक्षा की गोपनीयता कैसे बने। इस पर काम करना चाहिए। मैं जब अध्यक्ष था तब अजमेर में किसी से मिलता तक नहीं था। एक जज का जैसा जीवन है, उसी तरह से सदस्यों का जीवन होता है।
- जी एस टांक
Published on:
21 Jan 2024 07:35 am
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