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जयपुर जिले में बुद्ध पुर्णिमा को वन क्षेत्रों में होगी मोर गणना

राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार की घटनाओ पर प्रभावी रोक लगाने और संरक्षण सरकारी प्रयास तेज हो गए है

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जयपुर

राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार की घटनाओ पर प्रभावी रोक लगाने और संरक्षण सरकारी प्रयास तेज हो गए है। जयपुर जिले में राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार की रोकथाम एवं मोरों के संरक्षण के लिए गठित जिला स्तरीय समिति की बैठक सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित हुई। बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर (पूर्व) डॉ. बी.डी कुमावत ने निर्देश दिये कि ग्रामीण इलाकों में वन क्षेत्र के बाहर भी बड़ी तादाद में मोराें की संख्या को देखते हुए लोगों को राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण के संबंध में जागृत करें। उन्होंने मोर के संरक्षण के लिए अन्य संबंधित विभागों से भी समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिये। कुमावत ने राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मोर राष्ट्रीय पक्षी है ऐसे में उसके संरक्षण के विशेष प्रयास होने चाहिए। बैठक में सहायक वन संरक्षक, जयपुर मनफूल विश्नोई ने बताया कि जिले के वन क्षेत्रों में मोरों की गणना बुद्ध पूर्णिमां से शुरू होगी। वन विभाग के अधिकारियो ने बताया कि 30 अप्रेल से शुरू होने वाली मोर गणना के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। बैठक में जिला प्रशासन और वन विभाग के साथ पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे। गौरतलब है कि राज्य के अन्य जिलो में भी वन विभाग ने अलग अलग समय पर पिछले दिनो में मोर गणना का कार्यक्रम तय किया था।

मोरों की गणना देश भर में

भारत में राष्ट्रीय पक्षी मोरों की संख्या कितनी है, इसकी प्रामाणिक जानकारी जुटाने के लिए मोरों की गणना की निर्णय किया गया था। देश भर में पिछले सालों में अलग अलग समय पर मोरों की गणना का कार्य किया गया। मोरो की गणना का निर्णय मोरों की घटती संख्या और राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण को लेकर किया गया है। आपको बता दे कि मोर न केवल राष्ट्रीय पक्षी है बल्कि इसका पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। मोर पंख का उपयोग अधिकांश धर्मों के अनुष्ठानों में भी किया जाता है।