
सोलर पैनल। फोटो: पत्रिका
जयपुर। राजस्थान में घरेलू के अलावा कॉमर्शियल और छोटे व मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिए भी सस्ती बिजली उत्पादन की राह आसान हो गई है। अब वे भी किसी भी प्रॉपर्टी पर सोलर पैनल लगाकर अपने दूसरे स्थानों पर उसका उपयोग कर सकेंगे।
राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने इन्हें भी वर्चुअल नेट मीटरिंग और ग्रुप वर्चुअल नेट मीटरिंग की सुविधा में शामिल करने किया है। हालांकि, बिजली कंपनियां केवल घरेलू उपभोक्ताओं को ही इस दायरे में शामिल करना चाह रही थी, लेकिन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि औद्योगिक, व्यावसायिक और संस्थागत उपभोक्ता भी इसका लाभ ले सकेंगे।
नई व्यवस्था से कई औद्योगिक इकाइयां मिलकर एक जगह सोलर प्लांट स्थापित कर पाएंगी और वहां से उत्पन्न बिजली का उपयोग अपनी-अपनी इकाइयों में कर सकेंगी। इससे बिजली की लागत घटेगी और उद्योगों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से राजस्थान में सोलर एनर्जी के प्रयोग को नई गति मिलेगी।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए औसत 8.50 रुपए प्रति यूनिट बिजली दर पड़ती है। इसमें विद्युत दर, फिक्स चार्ज व अन्य सेस, टैक्स शामिल है। जबकि सोलर से यह 4 से 4.50 रुपए प्रति यूनिट में ही उपलब्ध हो रही है।
-किराये पर रहने वाले लोग, फ्लैट मालिक और हाउसिंग सोसायटी के सदस्य भी सोलर ऊर्जा का फायदा उठा सकेंगे, भले ही उनके पास अपनी छत न हो।
-आयोग ने स्पष्ट किया है कि सोलर पैनल अब केवल छत तक सीमित नहीं रहेंगे। इन्हें रूफटॉप, बालकनी, जमीन, पानी के ऊपर (जल स्रोत) या किसी ऊंचे ढांचे पर भी लगाया जा सकेगा।
-आयोग ने 10 किलोवाट तक के सिस्टम के लिए तकनीकी जांच की अनिवार्यता हटा दी है।
इसमें घरेलू और सरकारी उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी गई है। इन उपभोक्ताओं से बैंकिंग चार्ज, ट्रांसमिशन चार्ज, व्हीलिंग चार्ज, क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज, एडिशनल सरचार्ज जैसे चार्ज नहीं लगाए जाएंगे। सरकारी कनेक्शनों पर कुछ मामलों में 50 प्रतिशत सरचार्ज लागू रहेगा। यदि उपभोक्ता के पास बैटरी स्टोरेज सिस्टम है तो उसे कई चार्ज में 75 प्रतिशत तक छूट मिलेगी।
Published on:
15 Oct 2025 08:10 am
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