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मोहित शर्मा.
जयपुर. सीबीआई ने साइबर ठगी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाईयों में से एक, ऑपरेशन चक्र-5, के तहत पांच राज्यों- राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 42 ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में राजस्थान के दो आरोपियों समेत 9 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें बिचौलिए, एजेंट, खाताधारक और बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट शामिल हैं।
सीबीआई ने पिछले माह देशभर की 700 से अधिक बैंक शाखाओं में 8.5 लाख म्यूल खातों का पता लगाया, जो डिजिटल अरेस्ट, निवेश घोटाले और यूपीआई आधारित ठगी जैसे अपराधों में इस्तेमाल हो रहे थे। जयपुर, जोधपुर, और अलवर जैसे राजस्थानी शहरों में भी ऐसे खातों का उपयोग बढ़ा है, जहां पर्यटन और डिजिटल लेन-देन की आड़ में ठगी के मामले सामने आए हैं।
म्यूल खाते वे बैंक खाते हैं, जिन्हें अपराधी ठगी की रकम को स्थानांतरित करने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग करते हैं। सीबीआई की जांच में पाया गया कि ये खाते बिना उचित केवाईसी (नो योर कस्टमर), ग्राहक सत्यापन, या जोखिम आकलन के खोले गए। कई मामलों में, रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेजा गया।
छापेमारी के दौरान सीबीआई ने मोबाइल फोन, लैपटॉप, फर्जी केवाईसी दस्तावेज, बैंक खाता खोलने के फॉर्म, और लेनदेन रिकॉर्ड जब्त किए। गिरफ्तार व्यक्तियों में राजस्थान के यूसुफ और अशोक सहित दिल्ली के लवकेश शाक्य, सावन कुमार और विशाल, उत्तराखंड के फरमान बेग और पुरुषोत्तम, उत्तर प्रदेश के शुभम कंबोज और उमरदीन शामिल हैं। सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
कुछ बैंक कर्मियों, एजेंटों और ई-मित्र ऑपरेटरों की मिलीभगत की जंाच चल रही है, जिन्होंने केवाईसी नियमों का उल्लंघन कर म्यूल खाते खोले। कई बैंकों ने संदिग्ध लेनदेन की चेतावनियों पर उचित कार्रवाई नहीं की और ग्राहकों के पते सत्यापित करने के लिए पत्र नहीं भेजे। भारतीय रिजर्व बैंक अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित म्यूलहंटर सिस्टम के जरिए ऐसे खातों की निगरानी बढ़ा रहा है।
सीबीआई व भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने लोगों से अपने बैंक खाते दूसरों को न देने की अपील की है। जयपुर जैसे शहरों में, जहां डिजिटल लेनदेन 25% बढ़े हैं, स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई। सीबीआई का लक्ष्य इन खातों के जरिए ठगी की रकम का हिसाब लगाना और अपराधियों को सजा दिलाना है।
साइबर अपराधी पीड़ितों से इन्हीं म्यूल खातों में पैसा ट्रांसफर कराते हैं और उसके बाद उन्हें दूसरे खातों में ट्रांसफर करते हैं। कई मामलों में इस रकम को क्रिप्टो करेंसी में तब्दील कर विदेश भेजने के भी सबूत मिले हैं।
आरबीआई भी साइबर ठगी में म्यूल खातों के इस्तेमाल पर चिंता जता चुका है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर ऐसे खातों की पहचान करने की कोशिश कर रहा है।
Updated on:
08 Jul 2025 12:59 pm
Published on:
08 Jul 2025 12:34 pm
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