सड़क, पहाड़, जल स्रोत व अन्य भौगोलिक स्थितियों की वजह से राजस्थान के 100 शहरी निकायों के कई वार्डों के परिसीमन प्रस्तावों में वार्डों की आबादी निर्धारित औसत जनसंख्या से 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हो रही है। कहीं-कहीं तो यह 30 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसके चलते इन वार्डों का परिसीमन और पुनर्गठन अटक गया है।
स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा की अध्यक्षता में गठित मंत्री मण्डलीय उपसमिति ने इसे लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी अवगत कराया है। प्रयास किए जा रहे हैं कि औसत जनसंख्या के 15 प्रतिशत की छूट को बढ़ाकर 20 से 25 प्रतिशत तक किया जाए। हालांकि यह छूट विशेष परिस्थितियों के लिए ही लागू हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा निकाय चुनाव के लिए माइक्रो लेवल मॉनिटरिंग का मैकेनिज्म तैयार कर रही है, ताकि छोटे से छोटे निकाय में भाजपा का दबदबा बने। मुख्यमंत्री खुद इस मामले में स्थानीय नेताओं से वन-टू-वन मीटिंग कर सकते हैं। नवम्बर में सभी निकायों के एक साथ चुनाव होने हैं।
विधि विशेषज्ञ अशोक सिंह के मुताबिक वार्ड की औसत जनसंख्या में 15 फीसदी कम या ज्यादा आबादी का वार्ड बनाया जा सकता है। भौगोलिक परिस्थितिवश राज्य सरकार स्तर पर इसमें बदलाव किया जा सकता है।
प्रदेश के 111 नगरीय निकायों (नगर निगम, परिषद, पालिका) में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। ज्यादातर जगह जिला कलक्टर, अतिरिक्त जिला कलक्टर, उपखंड अधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया गया है।
स्वायत्त शासन विभाग पिछले वर्ष नवम्बर में जारी अधिसूचना में जनसंख्या के आधार पर वार्ड संख्या तय कर चुका है। इसके मुताबिक 15000 तक की जनसंख्या पर 20 वार्ड, जबकि 35 लाख की आबादी तक अधिकतम 150 वार्ड होंगे।
मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं की सीमाओं में बदलाव, नए निकाय-वार्ड गठन और खत्म करने से जुड़ी रिपोर्ट सौंप दी है। कमेटी में मंत्री झाबर सिंह खर्रा के अलावा जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, वन मंत्री संजय शर्मा और सहकारिता मंत्री गौतम कुमार सदस्य हैं।
सरकार नवम्बर में चुनाव कराना चाह रही है, जबकि 140 नगरीय निकाय ऐसे हैं जिनका कार्यकाल दिसम्बर व जनवरी में खत्म होगा। इन निकायों का बोर्ड भंग करना पड़ेगा। यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि कानूनी अड़चन और विरोध की आशंका भी रहेगी।
Published on:
17 Jun 2025 09:04 am