
जयपुर। अब जल्द ही डीजल इंजन वाली कारों पर बैन लगने वाला है। डीजल वाहनों पर बैन की सिफारिश सामने आने के बाद शहर के लोग नई कार खरीदने को लेकर असमंजस में हैं। दरअसल, डीजल कारों पर आगामी वर्षों में बैन लगने की आशंका है। वहीं, इलेक्ट्रिक कारों के लिए अभी तक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं हुआ है। पेट्रोल कारों की रनिंग कॉस्ट अपेक्षाकृत अधिक है। ऐसे में जिन लोगों को आगामी 2-4 महीनों में कार खरीदनी है, वे निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि कौनसी कार लें।
पहले अधिक होती थी डीजल कारों की बिक्री
कुछ वर्ष पहले पेट्रोल कारों के मुकाबले डीजल कारें अधिक बिकती थीं। वर्ष 2014 में 14,996 पेट्रोल कारें बिकी थी, जबकि डीजल कारों की संख्या 16,013 थी। हालांकि, इसके बाद पेट्रोल कारों की संख्या में इजाफा होता गया।
डीजल वाहन प्रदूषण का बड़ा कारण
डीजल वाहन प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा कारण है। एक डीजल कार 24 पेट्रोल कार व 40 सीएनजी कारों जितना प्रदूषण करती है। इसे देखते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से गठित एक पैनल ने सिफारिश की थी कि वर्ष 2027 तक देश में ऐसे शहर जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है या जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है, वहां डीजल वाहनों पर पूरी तरह से बैन लगा देना चाहिए।
इलेक्ट्रिक के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं
इलेक्ट्रिक कारों के लिए प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। जयपुर के आस-पास के जिलों में ही चार्जिंग स्टेशन नहीं है। दिल्ली व आगरा हाईवे को छोड़कर अन्य रूटों पर चार्जिंग स्टेशन न के बराबर हैं।
मुझे काम के सिलसिले में अक्सर जयपुर से बाहर जाना पड़ता है। इसीलिए डीजल कार लेने की प्लानिंग थी। लेकिन, हाल ही आई केंद्र्र सरकार की एक रिपोर्ट पढ़ी तो अब डीजल कार लेने का प्लान रद्द कर दिया। अब समझ में नहीं आ रहा है कि कौन सी कार खरीदूं।
-रोहिताश पाराशर, सोडाला
पेट्रोल की बढ़ती कीमत के कारण डीजल कार लेना चाह रहा था। अब डीजल कार को लेकर बैन की खबर आ गई। मजबूरी में पेट्रोल कार ही लेनी पड़ेगी। दूसरा कोई विकल्प ही नहीं दिख रहा है।
-मनु सिंह, जगतपुरा
Published on:
01 Jun 2023 02:21 pm
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