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मंगलवार से दीपोत्सव का आगाज होगा मंगलकारी, विशेष योग लाएंगे प्रगति, बाजार में आएगी तेजी

मंगलवार से शनिवार तक चलेगा दीपोत्सव, चर्तुग्रही योग में मनाई जाएगी दीपावली

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जयपुर

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Jaya Gupta

Oct 11, 2017

jaipur

जयपुर। पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व का आगाज आगामी मंगलवार से होगा। दीपों का पर्व मंगलवार से शनिवार तक चलेगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार मंगलवार से शुरू होने वाला दीपोत्सव आमजन के लिए मंगलकारी होगा। सूर्य, चंद्रमा व अग्नितत्व का लोगों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। साथ ही बाजार में तेजी आएगी।

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पंडित बंशीधर ज्योतिष पंचांग के निर्माता पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि दीपोत्सव का आगाज मंगलवार को धनतेरस से होगा। इस दिन दोपहर 12.35 बजे सूर्य नीच राशि तुला में प्रवेश कर रहा है। वहीं चंद्रमा भी पांच दिन कन्या व तुला राशि में रहेगा। सूर्य व चंद्रमा के प्रभावहीन होने से इन दिनों में अग्नितत्व विशेष प्रभावी रहेगा। शास्त्रों में दीपोत्सव में अग्नितत्व की प्रधानता मानी गई है, ऐसे में इस दौरान अग्नितत्व का प्रभाव अच्छा संयोग है।

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वहीं कन्या राशि बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है, ऐसे में धनतेरस से दीपावली रात्रि तक चंद्रमा के कन्या राशि में रहने से व्यापारिक जगत में उन्नति होगी। बाजारों में तेजी आएगी। खरीदारी के लोग उमड़ेंगे। इसके बाद दीपावली से भाईदूज तक चंद्रमा के तुला राशि में रहने से सौन्दर्य व विलासिता में वृद्धि होगी। यह दोनों संयोग ही प्रगतिकारक हैं।

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पांच दिन ऐसे रहेंगे अच्छ? योग ??

धनतेरस : भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन बहीखाते, आभूषण, बर्तन आदि खरीदारी का विशेष महत्व रहेगा। साथ ही खरीदारी चिरस्थाई रहेगी।

रूप चतुर्दशी : रूप चतुर्दशी या छोटी दीपावली सर्वार्थसिद्धी योग में मनाई जाएगी। जो कि सुबह 6.38 बजे से शुरू होगा और दिनभर चलेगा।

दीपावली : मां लक्ष्मी का पूजन चित्रा नक्षत्र में किया जाएगा। दिवाली को पूरे दिन अमावस्या रहेगी। इसलिए दिन व रात्रि दोनों समय मां लक्ष्मी की पूजा हो सकेगी। साथ ही इस दिन तुला राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और गुरू की युक्ति से चर्तुग्रही योग बनेगा। जो कि भाईदूज तक चलेगा।

गोवर्धन पूजा : गोवर्धन पूजा अन्नकूट के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान को नई फसलें (चावल, बाजरा, चौले, मूंग आदि) का भोग लगाया जाएगा।

भाईदूज : बहनें भाई की लम्बी आयु के लिए बहनें व्रत रखेंगी। सर्वार्थसिद्धी योग में पूजा-अर्चना की जाएगी।