ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि लक्ष्मीजी के साथ दीपावली पर सरस्वतीजी, मां काली, श्रीगणेश और कुबेर देव की भी पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मीजी के सभी आठ स्वरूपों की पूजा का विधान है। इसके साथ कलम, सरस्वती और दीपक की पूजा भी करनी चाहिए। दीपों की पूजा से दुख खत्म हो जाते हैं और पाप नष्ट होते हैं।
लक्ष्मी पूजन से सुख—समृद्धि—ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। खास बात तो यह है कि इस बार दीपावली पर अन्य अनेक शुभ योग भी बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार रात में शुभ मुहूर्त में कलश के जल से खुद पर और पूजन सामग्री पर पानी का छिड़काव करके पृथ्वी को प्रणाम करते हुए संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करें।
पहले गणेशजी और विष्णुजी की पूजा करें। इसके बाद महालक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें। लक्ष्मीजी के समक्ष दीप जलाएं। पुष्पहार चढ़ाएं, पूजन सामग्री अर्पित करें और भोग लगाएं। देवी की आरती करें। आरती के बाद पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमायाचना करें। दिवाली पर श्रीसूक्त का पाठ अवश्य करें।