जगमग ज्योति एवं उल्लास के प्रतीक दीपावली के अवसर पर आतिशबाजी से लगने वाली चोट के कारण अनेकों व्यक्ति अपनी आंखों की ज्योति हमेशा के लिए खो बैठते हैं।
बारां. जगमग ज्योति एवं उल्लास के प्रतीक दीपावली के अवसर पर आतिशबाजी से लगने वाली चोट के कारण अनेकों व्यक्ति अपनी आंखों की ज्योति हमेशा के लिए खो बैठते हैं। कुछ लोगों को तो पटाखे के कारण आंख में गंभीर चोट लगने के कारण उनका जीवन सदा के लिए अंधकार मय हो जाता है। इससे भी खेद की बात यह कि पटाखे से चोटिल अधिकांश 15 साल की उम्र से कम के बच्चे होते हैं। छोटे बच्चों अक्सर अपने आस-पास की आतिशबाजी को देखने अथवा अधजले पटाखों को दोबारा जलाने का प्रयास करते समय में ही गंभीर चोट के शिकार हो जाते हैं। अधिकांश बच्चों के माता-पिता व परिजन बच्चों को आतिशबाजी चलाते समय ध्यान नहीं दे पाते, जिससे गंभीर चोट लगने का खतरा और बढ़ जाता है। नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय व डॉ. विदुषी पाण्डेय बता रहे हैं पटाखे चलाते समय निम्न सावधानियों का विशेष ध्यान रखें। ——-
1-बोतल/मटके में रखकर पटाखे/रॉकेट नहीं चलाएं। बोतल या मटका फूट जाने पर पटाखा व कांच दोनों ही नुकसान करते हैं व गहरी चोट लगाते हैं।
2-पटाखा न चले तो उसे पास न जाकर छुएं और न हीं देखें। अचानक पटाखा के फट जाने से पास खड़े बच्चे को यकायक चोट लग जाती हैै।
3-हाथ में पकड़कर पटाखा न चलाएं, भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पटाखे न चलाएं।
4-सड़क पर पटाखे, खासतौर से यातायात के बीच पटाखे न चलाए। इससे अनायास ही कोई राह चलता व्यक्ति पटाखे की चपेट में आ जाता है।
5-पटाखे किसी सुरक्षित एवं खुले स्थान पर चलाएं।
6-पटाखा एक बार में न चलें, तो दोबारा न जलाएं।
7-पटाखे जलाते समय माता-पिता बच्चों पर विशेष निगरानी रखें। पटाखे जलाते समय आंखों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी ग्लास का उपयोग करें।
8-सूती कपड़े पहनें, ढीले कपड़ों से बचें व लटकते हुए स्कार्फ, दुपट्टे आदि पहनकर पटाखे न चलाएं।
9-पटाखे एक-एक कर चलाएं और जो न चलें उन्हें अंत में पानी की बाल्टी में डाल दें। एक-दो बाल्टी पानी हमेशा पास रखें।
10-आंख में चोट लगने पर तुरन्त नेत्र चिकित्सक से सम्पर्क करें।