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बार-बार तबादले से आहत डीजे ने खटखटाया SC का दरवाजा, राजस्थान हाईकोर्ट को दिए तबादले पर पुनर्विचार करने के निर्देश

बार-बार किए जा रहे तबादले के खिलाफ वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। पत्रिका फाइल फोटो

जयपुर। बार-बार किए जा रहे तबादले के खिलाफ वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से इस मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है। साथ ही कहा कि प्रशासनिक मामलों से संबंधित हाईकोर्ट न्यायाधीशों की कमेटी से परामर्श कर निर्णय किया जाए। अच्छा होगा यदि दो सप्ताह में निर्णय कर लिया जाए।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायाधीश जॉयमाल्या बागची एवं न्यायाधीश विपुल एम पंचोली की पीठ ने दिनेश कुमार गुप्ता की याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया। गुप्ता का हाल ही ब्यावर से जालौर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर तबादला किया गया। याचिका में इसे चुनौती देते हुए कहा कि 10 माह बाद सेवानिवृत्ति होने वाली है। याचिका में गुप्ता ने अपने अब तक के उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड और पूर्व पदस्थापनों का उल्लेख किया, वहीं बार-बार तबादले के कारण होने वाली समस्याओं का जिक्र किया।

साथ ही कहा कि स्वास्थ्य समस्या के चलते जयपुर में इलाज की आवश्यकता है। ऐसे में जयपुर के आसपास पदस्थापित किए जाने का आग्रह किया गया। याचिका में बताया कि तबादले के संबंध में तीन दिसंबर को हाईकोर्ट प्रशासन को अपना अभ्यावेदन दिया, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं होने पर यह याचिका दायर की।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि निश्चित तौर पर होनहार न्यायिक अधिकारी होने व उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड के कारण याचिकाकर्ता को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव तथा जयपुर विकास प्राधिकरण में लॉ डायरेक्टर के रूप में पदस्थापित किया, किसी भी रूप में इन पदों पर नियुक्ति दंडात्मक नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से याचिका में बताए तथ्यों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश देते हुए मामले को निस्तारित कर दिया।

इन मामलों को लेकर चर्चा में रहे

बॉम्बे में आतंकी हमले के बाद केंद्रीय मंत्री को नोटिस भेजने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगी, वाणिज्यिक न्यायालय जज रहते दो वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को अवमानना मामले में जेल भेजने का आदेश दिया, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट मामले में सांगानेर के कारखानों के खिलाफ आदेश पारित किया. बजरी चोरी व बीमा कंपनियों की मनमानी पर सख्ती दिखाई, शराब घोटाले में मुख्य सचिव को जांच का आदेश दिया, जेडीए में निदेशक (विधि) रहते नियम विरूद्ध आवासीय योजना विकसित होने सहित जेडीए के कई विधि विरुद्ध कार्यों को उजागर किया।