प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में डॉक्टरों ने चिंता करते हुए कहा कि यह बहुत जरूरी है कि युवाओं के बीच ईएनडीएस महामारी बन कर फैल जाए, इससे पहले इस पर रोक लगाई जाए। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले ये 1061 डॉक्टर इस बात से बेहद चिंतित हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य मसले पर व्यापार और उद्योग संगठन ई-सिगरेट के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं।
निकोटीन पर निर्भरता स्वास्थ्य के लिए प्रमुख खतरा:
सवाई मानसिंह अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.पवन सिंघल ने बताया कि शोध से साबित हुआ है कि ईएनडीएस सुरक्षित नहीं है या धूम्रपान की समाप्ति का विकल्प नहीं है। निकोटीन पर निर्भरता स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा है। यह एक अत्यधिक नशे की लत वाला रसायन है।
इन उत्पादों को भारत में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। डॉक्टर के समूह ने 30 संगठनों की ओर से आइटी मंत्रालय को लिखे गए एक पत्र पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है और इसलिए इसे खतरे में डालकर व्यावसायिक हितों की रक्षा नहीं की जानी चाहिए।
केन्द्र सरकार ने जारी की थी गाइडलाइन
28 अगस्त, 2018 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। हालांकि राजस्थान में अभी तक इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।