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Jaipur : एक डोज से छह महीने तक कंट्रोल में रहेगा कोलेस्ट्रॉल का लेवल, डॉ. प्रवीण चंद्रा का बड़ा खुलासा

Jaipur : जयपुर में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया वॉल्व-2025 शुरू हो गया है। दुनियाभर से 1200 हृदय रोग विशेषज्ञ जुटे हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण चंद्रा ने कहा, अब एक डोज से छह महीने तक कंट्रोल में रहेगा कोलेस्ट्रॉल का लेवल।

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Dr Praveen Chandra made a big revelation One dose will keep cholesterol levels under control for six months International Conference India Valve-2025

जयपुर में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया वॉल्व-2025 में हृदय रोग विशेषज्ञ। फोटो पत्रिका

Jaipur : दिल की बीमारियों में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल लेवल प्रमुख कारण में से एक है। इसे कंट्रोल में रखने के लिए नई दवा बनाई गई है, जिसकी एक डोज से इसे 6 महीने तक कंट्रोल में रखा जा सकेगा। उसे इंजेक्शन के रूप में भी लिया जा सकता है। यह बात दिल्ली से आए पद्मश्री हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण चंद्रा ने गुरुवार से शुरू हुई तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया वॉल्व-2025 में कही।

अब दवा से तेजी से किया जा सकता है कम

डॉ. प्रवीण चंद्रा ने सत्र में बताया कि कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से हार्ट डिजीज का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए अब तक समय लगता था, लेकिन अब दवा से इसे तेजी से कम किया जा सकता है।

कॉन्फ्रेंस में डाक्टरों ने नई तकनीकों का किया जिक्र

कॉन्फ्रेंस के कोर्स डायरेक्टर डॉ. रविन्द्र सिंह राव ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में 1200 से ज्यादा हृदय रोग विशेषज्ञ शामिल हुए हैं। डॉ.अयुष खुराना ने नाविटर विजऩ, डॉ.सैबल कर ने माइट्राक्लिप और डॉ विजय अय्यर ने साइंस बिहाइंड रेसिलिया सेशन दिया। डॉ. निखिल जोशी और डॉ. साहिल खेड़ा ने नवीनतम वाल्व तकनीकों पर प्रकाश डाला। एडवांस्ड इमेजिंग इन एओर्टिक स्टेनोसिस सत्र में डॉ. मीहो फुकुई और डॉ. रूसा पारिख ने इमेजिंग तकनीकों के बारे में बताया।

देरी से इलाज के कारण कमजोर हो रही हार्ट मसल्स

विशेषज्ञों ने बताया कि दिल के वॉल्व की बीमारी हर मरीज में तुरंत खतरा नहीं बनाती, लेकिन अगर समय पर पहचान और इलाज न हो तो यह दिल पर स्थायी चोट छोड़ सकती है। एऑर्टिक स्टेनोसिस यानी वॉल्व के ठीक से न खुलने की स्थिति में इलाज में देरी होने पर करीब 30 से 40 प्रतिशत मरीजों में हार्ट मसल्स स्थायी रूप से कमजोर हो जाती हैं।

इसी तरह मिट्रल रिगर्जिटेशन, जिसमें वॉल्व से खून वापस लीक होता है। लंबे समय तक अनदेखी करने पर लगभग 25 से 30 प्रतिशत मरीजों में दिल का आकार बड़ा होकर हार्ट फेल्योर का कारण बनता है।