
एमएसपी बढ़ाने से नहीं, समय पर फसलों की खरीद से किसानों को मिलेगी राहत
इस साल फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों के चेहरे खिल उठे है। खरीफ फसलों की एमएसपी में हुई वृद्धि पिछले कई सालों की तुलना में इस साल सबसे अधिक है। एमएसपी बढ़ाने के फैसले का स्वागत करते हुए राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने कहा कि एमएसपी बढ़ाने के साथ—साथ कृषि जिंसों की समय पर खरीद से ही किसानों को फायदा पहुंचेगा। राजस्थान में किसान नरमा 14 हजार क्विंटल के बजाय 6000 रुपए प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर है। इसी तरह, राजस्थान की सरसों को भी 4700 रुपए प्रति क्विंटल दामों पर बेचना पड़ा है। सरसों के कम भाव बिकने का कारण पाम ऑयल के आयात पर शून्य ड्यूटी कर दी गई थी और इसका दुष्परिणाम यह रहा कि राजस्थान की सरसों का तेल निकालने वाली आधी से ज्यादा तेल मीलें बन्द हो गई है। यहीं हाल गत फसल में आए बाजरे का रहा, जिसमें 400 से 500 रुपए क्विंटल एमएसपी से कम में बाजरा बेचा गया। यही हाल मूंग एवं उड़द का भी रहा।
आढ़तियां के मार्फत बिके फसलें
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि चुनावी वर्ष को देखते हुए केन्द्र सरकार ने एमएसपी तो बढ़ा दी है, परन्तु किसानों की फसल आढ़तियां के मार्फत बिकनी चाहिए। सरकार को समर्थन मूल्य पर खरीद करने के साथ—साथ आढ़तियां को आढ़त दी जानी चाहिए। तभी इस एमएसपी बढ़ाने का फायदा किसान को मिल सकेगा।
इनकी बढ़ी एमएसपी
सरकार ने बाजरे की एमएसपी 2350 से बढ़ाकर 2478 रुपए, तुअर की एमएसपी 6600 से बढ़ाकर 7000, मूंग की एमएसपी 7755 से बढ़ाकर 8558, उड़द की एमएसपी 6600 से बढ़ाकर 6950 रुपए, मूंगफली की एमएसपी 5850 से बढ़ाकर 6357 रुपए, तिल की एमएसपी 7830 से बढ़ाकर 8635 रुपए, कॉटन मीडियम स्टेबल की 6080 से बढ़ाकर 6620 रुपए, कॉटन लोंग स्टेबल की 6380 से बढ़ाकर 7020 रुपए, पेडी कॉमन की 2040 से बढ़ाकर 2183 रुपए, पेडी ग्रेड ए की एमएसपी 2060 से बढ़ाकर 2203 रुपए की है।
Published on:
12 Jun 2023 04:41 pm
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