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Exclusive: ‘पद्मावत‘ रिलीज़ के बाद अब राजपूत V/S जाट! भंसाली को नुकसान पहुंचाने का लिया जा रहा क्रेडिट

locationजयपुरPublished: Jan 26, 2018 03:25:31 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

Padmaavat Latest Update: सोशल मीडिया में फिल्म VIRAL, फिल्म निर्माताओं के साथ ही वितरकों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

padmaavat controversy
जयपुर।

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत की रिलीज़ के साथ ही इसे गुरुवार को हज़ारों लोगों ने घर बैठे ही देख लिया। कुछ राज्यों को छोड़कर फिल्म देश भर में रिलीज़ हुई थी, लेकिन सोशल मीडिया के ज़रिये ये उन तमाम लोगों तक पहुंच गई जो फिल्म देखने के लिए थियेटर्स तक नहीं जा सके थे। जानकारों की माने तो सोशल मीडिया में फिल्म के इस तरह से वायरल होने से फिल्म निर्माताओं के साथ ही वितरकों को भी काफी नुक्सान झेलना पड़ सकता है।

ऐसे हुई फिल्म की ‘होम डिलीवरी’

सोशल मीडिया में सबसे पहले इस फिल्म को ‘जाटों का अड्डा’ नाम के कम्यूनिटी पेज ने दिखाना शुरू किया। ग्रुप के फेसबुक पेज पर इस फिल्म को थियेटर के अंदर से लाइव दिखाया गया। जैसे ही फिल्म का फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण शुरू हुआ वैसे ही लोग इससे जुड़ने लगे। इसके बाद इस पेज का ये लिंक और ये खबर आग की तरह वायरल होने लगी। देखते ही देखते लाखों की संख्या में लोग इससे जुड़ने लगे और घर बैठे ही इस फिल्म को देखने लगे। ख़ास बात ये थी इस लाइव टेलेकास्ट की ऑडियो और वीडियो क्वालिटी भी काफी बेहतर थी। लिहाज़ा सभी यूज़र्स इससे जुड़े रहे और फिल्म देखते रहे।

लिंक हुआ ब्लॉक

इस पेज के अचानक से ज़बरदस्त वायरल होने के कुछ घंटों बाद हालांकि फेसबुक की ओर से इसे ब्लॉक कर दिया गया। लेकिन जब तक इसे ब्लॉक करने की कवायद की जाती तक तक आधी फिल्म लोग घर बैठे ही देख चुके थे।

‘जो राजपूत नहीं कर सके वो जाटों ने कर दिखाया’

फिल्म को फेसबुक पेज पर लाइव करवाने वाले ग्रुप ‘जाटों का अड्डा’ ने इसके बाद एक और ताज़ा पोस्ट डाली जिसमें बताया गया कि जो काम राजपूत नहीं कर सके वो जाटों ने कर दिखाया है।
ये लिखा मैसेज में
नेशनल मीडिया में आज करणी सेना से ज्यादा चर्चे तो जाटों का अड्डा के है। इसे कहते है सौ सुख्या की 1 जाट की। एक जाट “जाटो का अड्डा” लाखों को फिल्म दिखा गया। पद्मावत को फ्री दिखाने का क्रेडिट भी जाट ले गया। जय हो जाट की भंसाली का जितना नुकसान राजपूत नहीं कर पाए, उससे ज़्यादा तो जाटों ने कर दिया। वो भी बिना कुछ करे। अगर कुछ करते तो पता नहीं क्या हो जाता। जाटो का अड्डा सै लाईव फिल्म चलाने का मकसद यही था की फिल्म फ्लोप हो जाए। जो राजपूतो ने नहीं किया वो हमने किया।
 

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पहले दिन मिला अच्छा रेस्पोंस

करणी सेना और हिन्दू सेना समेत कई संगठनों के तमाम विरोधों के बावजूद फिल्म देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से प्रमाणपत्र मिलने और सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रदर्शन की मंजूरी के बाद पद्मावत रिलीज तो कर दी गई लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश , गुजरात एवं गोवा में फिल्म का प्रदर्शन नहीं हो सका।

सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दाखिल

सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला और एक अन्य याचिकाकर्ता ने आज उच्चतम न्यायालय में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर करके चार राज्य सरकारों- राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के साथ ही करणी सेना के पदाधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मुकदमा शुरू करने का न्यायालय से अनुरोध किया है। उच्चतम न्यायालय इन याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
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वहीं केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी इस फिल्म के विरोध में खुलकर सामने आ गये हैं। जनरल सिंह ने कहा कि जब चीजें सहमति से नहीं होती है तो वहां गड़बड़ी होती है।

उन्होंने कहा ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतिहास को तोडफ़ोड़ करने की इजाजत नहीं देती है। जो विरोध कर रहे हैं उनके साथ बैठकर इसको सुलझाया जाए। जब चीजें सहमति से नहीं होती हैं तो फिर उसमें गड़बड़ होती है।’

कांग्रेस नेता ने भी फिल्म का यह कहते हुए विरोध किया है कि तथ्यों से परे इतिहास को नहीं दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा किसी भी धर्म और जाति तथा ऐतिहासिक तथ्य से हटकर फिल्में नहीं बननी चाहिए। अगर इससे किसी जाति या धर्म को ठेस पहुंचती है तो वैसी फिल्में नहीं बननी चाहिए।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस फिल्म को देखने के इच्छुक हैं। उन्होंने कुछ राजपूत नेताओं के साथ इसे देखने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं राजपूत समुदाय से हैं। फिल्म को लेकर जो लोग जो हिंसा कर रहे हैं, उससे राजपूत समुदाय की बदनामी हो रही है।

दिल्ली का शिक्षा मंत्री होने के नाते उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा का आश्वासन दें। उन्होंने कहा कि जो लोग फिल्म के नाम पर ङ्क्षहसा कर रहे हैं, वे राजपूत समुदाय के नहीं हैं।

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