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सो रहे थे… सोते ही रह गए, हंसती-खेलती दुनिया एक पल में जमींदोज; पिता से लिपटा मिला बेटी का शव

Jaipur house Collapse: देर रात हुई इस त्रासदी में चीख-पुकार, अफरा-तफरी और आंखों से छलकते आंसुओं ने इलाके को सहमा दिया।

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जयपुर। सुभाष चौक के पानों का दरीबा स्थित छील का कुआं इलाके में शुक्रवार देर रात चार मंजिला जर्जर मकान भरभराकर गिर गया और मलबे तले दबकर प्रभात और उसकी नन्ही बेटी पीहू ने जिंदगी की आखिरी सांस ली। उनकी मुस्कान, उनके सपने और हंसती-खेलती दुनिया एक पल में जमींदोज हो गई।

वहीं, बुजुर्ग महिला की सतर्कता ने कई और जिंदगियों को मौत के मुंह से बचा लिया। देर रात हुई इस त्रासदी में चीख-पुकार, अफरा-तफरी और आंखों से छलकते आंसुओं ने इलाके को सहमा दिया।

पिता-पुत्री के शव एक दूसरे से लिपटे थे

सुभाष चौक थाना पुलिस ने बताया कि चिल्लाने की आवाज के आधार पर मलबा हटाने पर एक प्लाईवुड नजर आई। इसके नीचे चार लोग दबे हुए थे। जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे। चारों घायलों को तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

एसडीआरएफ टीम ने बताया कि बचाव दल को मलबे में प्रभात और उसकी बेटी पीहू के शव मिले। दोनों शव एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। इसे देखकर लगता है कि पिता ने बेटी को बचाने की कोशिश की होगी।

मलबे तले दब गया एक परिवार का सपना

प्रभात के परिजन ने बताया कि परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी में था। छोटे से ज्वैलरी कारखाने में मजदूरी कर वह किसी तरह घर का गुजारा करता था। अब हादसे ने उसकी दुनिया ही उजाड़ दी। उसकी पत्नी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। मोहल्ले की महिलाएं पीहू को याद कर बार-बार यही कहती रहीं, 'कितनी चंचल थी, हमेशा खिलखिलाती रहती थी, किसे पता था कि उसकी मुस्कान इतनी जल्दी छिन जाएगी।'

सोनका ने बचाई कई जिंदगियां

हादसे से कुछ देर पहले तेज बारिश के बीच पत्थर गिरने लगे। बुजुर्ग महिला सोनका ने खतरे को भांप लिया और आधी रात को हर कमरे का गेट खटखटाया। उनकी सूझबूझ से अधिकतर लोग बाहर निकल आए और मौत के मुंह से बच गए। लेकिन प्रभात का परिवार गहरी नींद में था, आवाजें उन तक पहुंचीं ही नहीं। रात करीब एक बजे अचानक पूरी इमारत का हिस्सा भरभराकर ढह गया और मलबे में दबे पिता-बेटी ने वहीं अंतिम सांस ली।

किराएदारों की गुहार रही अनसुनी

हर इलाके की महिलाओं का कहना है कि उन्होंने कई बार मकान मालिक से मरम्मत की गुहार की थी, लेकिन बार उनकी आवाज अनसुनी कर दी गई। मकान में 20 से अधिक लोग किराए से रहते थे, सभी पश्चिम बंगाल से आए मजदूर थे। हादसे के बाद ये सभी लोग अपना सामान समेटते और टूटे सपनों के बीच आंसू बहाते नजर आए।

लापरवाही पर सवाल

नगर निगम हैरिटेज की मेयर कुसुम यादव भी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने बताया कि इस जर्जर मकान के मालिक को दो बार नोटिस दिए गए थे। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अब सात दिन के भीतर ऐसे जर्जर मकानों से रिहाइश खत्म करवाई जाएगी और लापरवाह अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अफरा-तफरी में पार्षद कार्यालय में शरण

हावसे के तुरंत बाद पुलिस और बचाव दल मौके पर पहुंचे। घंटों की मशक्कत के बाद मलबा हटाया गया। अचानक बेघर हुए परिवारों ने वार्ड 60 के पार्षद फारुख खान के कार्यालय में शरण ली। देर रात तक वहीं बच्चों और महिलाओं की सिसकियां गूंजती रहीं।