29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चाय की थड़ी पर बेची जा रही गरीबों की नि:शुल्क दवा, खुलासे के बाद मची खलबली

गोविंद मार्ग स्थित मनो चिकित्सालय में गरीबों को दी जाने वाली निशुल्क दवा चोरी कर बाहर चाय की थड़ी पर बेची जा रही थी।

2 min read
Google source verification
free medicine

जयपुर। गोविंद मार्ग स्थित मनो चिकित्सालय में गरीबों को दी जाने वाली निशुल्क दवा चोरी कर बाहर चाय की थड़ी पर बेची जा रही थी। अस्पताल प्रशासन की सतर्कता से हुए खुलासे के बाद ट्रांसपोर्ट नगर थाना पुलिस ने दवा चोरी करने वाले संविदाकर्मी को गिरफ्तार कर लिया।

फर्जीवाड़े में शामिल चाय की थड़ी वाला व उसका कर्मचारी पूर्व में गिरफ्तार हो चुके हैं। मामले की चेन बीपीएल दवा वितरण केन्द्र तक जुड़ी थी। अस्पातल ने एक कर्मचारी को एपीओ कर दिया तथा चार अन्य संविदाकर्मियों को हटा दिया।

गिरफ्तार प्रवीण कुमार कानखेडिया (28) दौसा के अम्बेड़कर नगर निवासी है। वह दवा वितरण केन्द्र पर संविदाकर्मी था। अस्पताल प्रशासन ने मामला 20 सितम्बर को पकड़ा था, जब अस्पताल की दवा बाहर एक चाय की थड़ी वाले के पास मिली।

अस्पताल से चोरी दवा चाय की थड़ी चलाने वाले भागचंद व उसका कर्मचारी सुरेश बेदी बाहर मोटी कीमत पर बेचते थे। उल्लेखनीय है कि मनो चिकित्सलाय में मिलने वाली दवा अक्सर नशे के रूप में काम में ली जाती है। आशंका है कि ये दवाएं नशे के आदी लोगों को बेची जाती थी।

मामले की तफ्तीश कर रहे सहायक उपनिरीक्षक हबीब खान ने बताया कि इस मामले में और कर्मचारी भी शामिल हैं। सबकी पड़ताल की जाएगी। इसको लेकर अस्पताल अधीक्षक ने भी एक पत्र भेजा है।

अस्पताल की पड़ताल में बीपीएल दवा वितरण केन्द्र पर गड़बड़ी पकड़ी है। इसके आधार पर वितरण केन्द्र प्रभारी मुकेश शर्मा को एपीओ कर दिया तथा चार संविदाकर्मी रमेश, राकेश, शिवजी व प्रीतिराव को हटा दिया गया है। गिरफ्तार प्रवीण कुमार को पुलिस ने सोमवार को अदालत में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

औचक निरीक्षण, गड़बड़ी मिली
दवा अस्पताल के बाहर बिकने का मामला पकड़ते ही अस्पताल प्रशासन ने बीपीएल दवा वितरण केन्द्र का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में भारी मात्रा में गड़बड़ी पकड़ में आई।

रिकॉर्ड में जो स्टॉक था जांच में केन्द्र पर कहीं अधिक स्टॉक मिला। इससे साफ है गया कि बेचान दिखाई गई दवा केन्द्र में पड़ी थी। पड़ताल में सामने आया कि कर्मचारी मरीज की पर्ची पर दवा उपलब्ध नहीं होना बताते और उसे खुद बाहर ले जाकर बेच देते थे।