29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नए जिलों के गठन के जरिए मतदाताओं को साधने की तैयारी में गहलोत सरकार, अंतिम बजट में होगी घोषणा

-आधा दर्जन जिलों के गठन पर सरकार में चल रही कवायद, रिटायर्ड आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में गठित कमेटी मसौदा तैयार करने में जुटी, जनप्रतिनिधियों से भी लिए सुझाव, -बजट 2022 23 में सीएम ने नए जिलों के लिए बनाई थी कमेटी, साल 2008 में प्रतापगढ़ बना था आखिरी जिला

2 min read
Google source verification
ashok gehlot

ashok gehlot

जयपुर। प्रदेश में 1 साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य की गहलोत सरकार मतदाताओं को साधने और लुभाने का कोई प्रयास नहीं छोड़ रही है। सरकारी कार्मिकों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीमऔर संविदा कर्मियों को नियमित करने की घोषणा के बाद गहलोत सरकार अब नए जिलों के गठन के जरिए मतदाताओं को साधने के प्रयास में जुटी है।

माना जा रहा है कि सरकार अपने 5 वें और अंतिम बजट में आधा दर्जन जिलों की घोषणाकरके मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करेगी। हालांकि गहलोत सरकार को तकरीबन 20 से ज्यादा जगहों से जिले बनाने के अलग-अलग ज्ञापन सौंपे गए हैं लेकिन माना जा रहा है कि सरकार केवल आधा दर्जन जिलों पर ही फोकस किए हुए हैं।

हालांकि नए जिलों के गठन के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस के ही कई विधायकों ने सरकार पर दबाव बनाया हुआ है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक मदन प्रजापत को बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर बजट सत्र से ही नंगे पांव रहते हैं।

अगले महीने सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगी कमेटी
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2022- 23 में नए जिलों के गठन को लेकर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राम लुभाया के अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। इस पर कमेटी ने नए जिलों के गुण-अवगुण, क्षेत्रीय संतुलन और अन्य मापदंडों पर काम कर रही है और इसके लिए बाकायदा आमजन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों से भी संवाद किया जा रहा है, चर्चा यही है कि कमेटी अपनी रिपोर्ट दिसंबर माह में सरकार को सौंप देगी और उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पांचवें और अंतिम बजट में नए जिलों की घोषणा करेंगे।

लंबे समय से उठ रही है नए जिले बनाने की मांग
राजस्थान में लंबे समय से ही नए जिलों के गठन की मांग उठ रही है, वैसे भी प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं जो क्षेत्रफल और जनसंख्या के लिहाज से काफी बड़े हैं। ऐसे में सरकार की मंशा यही है कि जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से उन जिलों को छोटा करके नए जिले गठित किए जाएंगे।

नए जिलों के गठन से सरकार को फायदे की उम्मीद
वहीं नए जिलों के गठन से सरकार को भी विधानसभा चुनाव में फायदे की उम्मीद है। सियासी हलकों में भी चर्चा है कि अगर नए जिलों का गठन किया जाता है तो उन जिलों में निवास करने वाले मतदाता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं। ऐसे में सरकार की मंशा है कि कम से कम आधा दर्जन जिलों की घोषणा तो होनी ही चाहिए।

प्रतापगढ़ बना था अंतिम जिला
वहीं राज्य में अभी 33 जिले हैं लेकिन 2008 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने प्रतापगढ़ को जिला बनाया था। उसके बाद अभी तक कोई नए जिले का गठन राजस्थान में नहीं हो पाया है।

यह बन सकते हैं नए जिले
दरअसल जिन बड़े कस्बों को लंबे समय से जिला बनाने की मांग चल रही है उनमें ब्यावर, हिंडोली, कोटपूतली, बालोतरा, बहरोड़, निवाई, हिंडौन और गंगापुर सिटी है। इसके अलावा डीडवाना, रामगंजमंडी और उदयपुरवाटी को भी लंबे समय से जिला बनाने की मांग उठती रही है।

वीडियो देखेंः- कांग्रेस के 13 जिलाध्यक्षों की घोषणा, इन 5 जिलों के अध्यक्ष में कोई परिवर्तन नहीं