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Give Up Campaign: खाद्य सुरक्षा में बड़ा सुधार, 1.88 लाख अपात्रों ने छोड़ा हक, 1.81 लाख को मिला अधिकार

Government Welfare: गिव अप अभियान की ऐतिहासिक सफलता, अपात्रों ने खुद छोड़ा योजना का लाभ, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में पारदर्शिता की नई मिसाल बना जयपुर।

जयपुर

Rajesh Dixit

Jun 08, 2025

खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सामग्री का वितरण। फाइल फोटो-पत्रिका
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सामग्री का वितरण। फाइल फोटो-पत्रिका

Food Security Scheme: जयपुर। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के ‘गिवअप’ अभियान ने जयपुर जिले में ऐतिहासिक सफलता अर्जित की है। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के नेतृत्व में जयपुर में अब तक 1 लाख 88 हजार 255 अपात्र लाभार्थियों ने स्वयं पहल करते हुए इस योजना से नाम हटवाया है। इसके साथ ही 1 लाख 81 हजार 485 नए पात्र व्यक्तियों को योजना में शामिल कर उनका अधिकार सुनिश्चित किया गया है।

जयपुर जिले ने राज्य के 41 जिलों में 'गिवअप' के मामलों में पहला स्थान प्राप्त किया है, जो प्रशासन की पारदर्शी कार्यप्रणाली और आमजन के सहयोग का प्रमाण है। जिला रसद अधिकारी त्रिलोकचंद मीणा ने बताया कि अभियान को ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाया गया है, जहां रात्रि चौपाल, ग्राम सभाएं और जन सुनवाई जैसे कार्यक्रमों में जागरूकता फैलाकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।

कालवाड़ तहसील के बेगस गांव में आयोजित एक रात्रि चौपाल कार्यक्रम में 128 ग्रामीणों ने मौके पर ही ‘गिवअप’ के लिए सहमति दी, जो इस अभियान की सफलता को दर्शाता है। जिला प्रशासन ने अपात्र लाभार्थियों को स्वयं नाम हटाने का अवसर देते हुए अभी तक 986 व्यक्तियों को नोटिस भी जारी किए हैं। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि 30 जून 2025 तक स्वेच्छा से नाम हटवाने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी।


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इसके बाद जिन लाभार्थियों द्वारा ग़लत रूप से खाद्यान्न प्राप्त किया गया है, उनसे 27 रुपए प्रति किलो की दर से वसूली की जाएगी, जिसमें ब्याज सहित राशि वसूली के आदेश भी होंगे। यदि अपात्र लाभार्थी कोई सरकारी, अर्द्ध सरकारी कर्मचारी, पेंशनर, चौपहिया वाहन धारक या आयकरदाता है, तो उसकी सूची संबंधित विभाग को भेजी जाएगी और वेतन से राशि काटी जाएगी।

जयपुर जिले में इस अभियान को मिल रहे जनसमर्थन और प्रशासन की सख्ती से यह स्पष्ट होता है कि लाभ उन तक पहुंचेगा जो वास्तव में पात्र हैं। यह अभियान सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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