Good News : खुशखबर। स्कालरशिप के सहारे विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए बड़ी खबर। स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर अकादमिक एक्सीलेंस योजना पर नया अपडेट आया है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फोर अकादमिक एक्सीलेंस योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। इसके लिए https://hte.rajasthan.gov.in/online-scholarship पोर्टल पर आवेदन किए जा सकते हैं। कॉलेज शिक्षा विभाग के आयुक्त पुखराज सैन ने बताया कि इस योजना में राजस्थान के मेधावी विद्यार्थियों को देश-विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अध्ययन के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी और पोस्ट डॉक्टरल कोर्सेज के लिए चयनित किया जाता है। जिन छात्र-छात्राओं ने अर्हता परीक्षा में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं वे इस छात्रवृति के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यह योजना अशोक गहलोत सरकार ने शुरू की थी। इस योजना का पहले नाम राजीव गांधी एकेडमिक एक्सीलेंस स्कॉलरशिप योजना था। राजस्थान में भाजपा की नई भजनलाल शर्मा सरकार ने इस योजना का नाम मार्च माह में बदल कर स्वामी विवेकानंद एकेडमिक एक्सीलेंस स्कॉलरशिप कर दिया है। इसके साथ ही सीटों की स्थिति भी बदली है। सीटें तो 500 होंगी पर विदेशी संस्थानों में पढ़ाई के लिए 300 सीटें ही रहेंगी। शेष 200 के लिए देश के ही शैक्षणिक सस्थानों में पढ़ाई करवाई जाएगी।
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इस योजना के तहत अब ई-1 कैटेगरी के छात्रों को ट्यूशन फीस 50 लाख रुपए और लिविंग एक्सपेंसेज दिया जाएगा। इसके अलावा ई-2 कैटेगरी को 85 फीसदी और ई-3 कैटेगरी के छात्रों को 70 फीसदी ही ट्यूशन फीस सरकार देगी। इसके अलावा शेष फीस छात्रों को खुद देनी होगी। इससे पहले पिछली योजना में सभी कैटेगरी के छात्रों को पूरी ट्यूशन फीस जारी की जाती थी।
E-1 : आठ लाख रुपए तक आय वर्ग।
E-2 : 8 से 25 लाख रुपए तक आय वर्ग तक आय वर्ग।
E- 3 : 25 लाख रुपए से अधिक आय वर्ग।
इस योजना पर कांग्रेस दिग्गज नेता ने शुक्रवार को भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए तेज कसा था। अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया अकांउट X पर लिखा कि कॉलेज बन्द करने की सोच के बाद अब विदेश में पढ़ने वाले छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप रोकने का कार्य दिखाता है कि भाजपा सरकार राजस्थान को कई साल पीछे ले जाना चाहती है।
अशोक गहलोत ने आगे लिखा कि मैं बार-बार कहता हूं कि बाबा साहेब अम्बेडकर जी को बडौदा के महाराजा ने अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी पढ़ने भेजा तो उन्होंने वापस आकर संविधान निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनायी और और सामाजिक उत्थान का बहुत बड़ा प्रयास किया। अब अगर उनसे प्रेरणा लेकर विदेश में पढ़ने गए 500 विद्यार्थियों में से 5 भी आकर सांइटिस्ट, आईटी एक्सपर्ट, टेक्नोक्रेट के रूप में काम करेंगे तो वो हमारे देश के लिए कितना अच्छा ह्यूमन रिसोर्स होता।
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Published on:
15 Jun 2024 12:56 pm