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सरकारी अस्पताल में मुफ्त उपचार लेकिन लंबी कतारों से मुसीबत भी हजार, परेशानियों से जूझ रहे मरीज

Rajasthan News : सरकारी अस्पतालों में भले ही मरीजों को इलाज मुफ्त मिल रहा है, लेकिन उसके लिए उन्हें कई मुसीबत भी झेलनी पड़ रही है। मरीज को गंभीर अवस्था में भी भर्ती होने या फिर इलाज के बाद छुट्टी लेने के लिए कई घंटे कतारों में जूझना पड़ रहा हैं।

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Jaipur News : सरकारी अस्पतालों में भले ही मरीजों को इलाज मुफ्त मिल रहा है, लेकिन उसके लिए उन्हें कई मुसीबत भी झेलनी पड़ रही है। मरीज को गंभीर अवस्था में भी भर्ती होने या फिर इलाज के बाद छुट्टी लेने के लिए कई घंटे कतारों में जूझना पड़ रहा हैं। सवाई मानसिंह, जेके लोन, गणगौरी, कांवटिया सहित राजधानी के समस्त सरकारी अस्पतालों में ऐसे हालात रोजाना दिख रहे हैं।

दरअसल, मरीजों को उनके परिजन सबसे पहले ओपीडी रजिस्ट्रेशन, फिर चिकित्सक कक्ष के बाहर कतार में लेकर खड़े रहते हैं। मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है तो उनकी समस्या और बढ़ जाती है। मरीज व उनके परिजन को आइपीडी काउंटर पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करवाने में जूझना पड़ता है। यहां से वार्ड में ले जाने के बाद संबंधित योजना के तहत बीमारी का कोड व टीआइडी नंबर जारी करवाने के लिए योजना से संबंधित काउंटर पर चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस प्रक्रिया में लगभग पूरा दिन लग जाता है।

हालांकि, मरीज को सबसे ज्यादा परेशानी अस्पताल से छुट्टी मिलने या रेफर होने में होती है। कारण कि, उन्हें अस्पताल से जाने से पहले चिरंजीवी काउंटर पर फोटो खिंचवानी पड़ती है। इस प्रक्रिया में उन्हें दो से चार घंटे लग जाते हैं। कई बार सर्वर डाउन की वजह से मरीज ऑनलाइन डिस्चार्ज नहीं हो पाते हैं। इस कारण, जरूरत पर भी मरीज दूसरे सरकारी अस्पताल में एडमिट नहीं हो पाते हैं। इन अव्यवस्थाओं के कारण सबसे ज्यादा दिक्कत दूर-दराज से आने वाले मरीजों को होती है।


अस्पताल से डिस्चार्ज होने की लंबी प्रक्रिया के कारण कई लोग अपने मरीज को बिना डिस्चार्ज करवाए ही लेकर जा रहे हैं। ज्यादातर लोग इलाज से असंतुष्ट होने या इमरजेंसी हालत में अपने मरीज को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए भी ऐसा कर रहे हैं।

- एसएमएस अस्पताल के चिरंजीवी काउंटर पर सोमवार शाम को झुंझुंनूं निवासी मरीज कर्मवीर को डिस्चार्ज के लिए एक घंटा इंतजार करना पड़ा। उसकी मां ने बताया कि वार्ड से काउंटर पर भेज दिया, फाइल में गड़बड़ी थी। अब वार्ड में रेजिडेंट नहीं है, क्या करूं। बेटा स्ट्रेचर पर लेटे दर्द से परेशान हो रहा है। पता नहीं कब छुट्टी मिलेगी।

-सीकर से आए मरीज रामकिशोर ने बताया कि एक्सीडेंट से पैर में चोट लग गई थी। ऑपरेशन हुआ है। वार्ड से ऑनलाइन डिस्चार्ज के लिए भेज दिया। यहां सर्वर डाउन चल रहा है। वार्ड में ही फोटो खींच लेते तो परेशानी नहीं होती।


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पत्रिका के संवाददाता ने इस संबंध में अस्पताल में आए मरीज व उनके परिजन से बातचीत की। उन्होंने कहा कि वार्ड में ही अगर यह व्यवस्था शुरू हो जाए तो कई घंटे परेशान नहीं होना पड़ेगा। सरकार को इस संबंध में ठोस कदम उठाने चाहिए।