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Master Plan: सरकारें ही बिगाड़ती रहीं राजस्थान का मास्टर प्लान, चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए हुए विपरीत काम

Master Plan in Rajasthan: राजस्थान में सरकार किसी भी दल की रही हो, लेकिन मास्टर प्लान की धज्जियां ही उड़ती रहीं।

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जयपुर। राजस्थान में सरकार किसी भी दल की रही हो, लेकिन मास्टर प्लान की धज्जियां ही उड़ती रहीं। तीन दिन पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में नगरीय विकास मंत्री रहे शांति धारीवाल ने पहले विधानसभा में सत्तापक्ष को मास्टर प्लान को लेकर गंभीरता बरतने की नसीहत दी। वे मास्टर प्लान को लेकर हाईकोर्ट के आदेश की उड़ रही धज्जियों पर भी बोले।

इसके बाद चर्चा शुरू हो गई है कि धारीवाल खुद करीब 9 साल तक यूडीएच मंत्री रहे और उस दौरान भी हाईकोर्ट आदेश देता रहा। इस बीच भाजपा सरकार भी रही। लेकिन किसी ने भी आदेश की अक्षरश: पालना नहीं की। उलट, चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए ‘गली’ निकाल मास्टर प्लान के विपरीत काम किए। भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों में मास्टर प्लान की अनदेखी के चले ‘खेल’ में ऐसे काम भी हो गए जो वर्षों बाद अब सरकारों के लिए गलफांस बने हुए हैं।

ये रहे जिम्मेदार

मंत्री: राजपाल सिंह शेखावत, श्रीचंद कृपलानी, शांति धारीवाल, झाबर सिंह खर्रा

अफसर
-मुकेश कुमार शर्मा, प्रमुख सचिव
-पवन कुमार गोयल, एसीएस
-भास्कर सावंत, प्रमुख सचिव
-कुंजीलाल मीणा, प्रमुख सचिव
-नवीन महाजन, सचिव
-सिद्धार्थ महाजन, सचिव
-भवानी सिंह देथा, सचिव
-जोगाराम, सचिव
-महेश चन्द्र शर्मा, सचिव
-कैलाशचंद मीणा, सचिव
-टी. रविकांत, प्रमुख सचिव
-राजेश यादव, प्रमुख सचिव
-वैभव गालरिया, प्रमुख सचिव
(ये अधिकारी नगरीय विकास विभाग एवं स्वायत्त शासन विभाग में जनवरी 2017 से अब तक रहे। पद उसी समय का है, जब वे विभाग में नियुक्त थे)

सरकारों की करतूत, जिसने तोड़ी उम्मीद

1. सुविधा क्षेत्र में बांट दिए पट्टे: फेसेलिटी सेस लेकर सुविधा क्षेत्र में बसे लोगों को पट्टा देने का मामला गरमाया था। तत्कालीन सरकार में अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश की अपनी ’व्याख्या’ कर आदेश जारी कर दिए थे। इसमें खुला क्षेत्र, हरित क्षेत्र, खेल मैदान, गार्डन, पार्क, रिक्रिएशन क्षेत्र व अन्य सुविधा शामिल हैं। इसके बावजूद गलत तरीके से सृजित सभी कॉलोनियों में सुविधा क्षेत्र विकसित करने की बजाय वहां पट्टे देकर वैध किया गया।

कोर्ट आदेश: सुनियोजित विकास के लिए सुविधा क्षेत्र को बहाल करना होगा।

2. भूउपयोग बदलकर स्पेशलाइज्ड मार्केट कर दिया: जयपुर में लोहामंडी योजना की 132 हेक्टेयर भूमि का भू-उपयोग बदलकर स्पेशलाइज्ड मार्केट कर दिया गया। जबकि, पुराने मास्टर प्लान 2011 में यहां भूउपयोग रीजनल पार्क और आंशिक आवासीय था। इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने व्यापक जनहित का हवाला देते हुए भूउपयोग परिवर्तन कर दिया। सरकार की स्वीकृति के आधार पर जेडीए ने इस योजना में बदलाव किया।

कोर्ट आदेश: कोर्ट आदेश में व्यापक जनहित आधार में बदलाव की बात अंकित है, लेकिन इकोलॉजिकल, ग्रीन एरिया और रिक्रिएशनल मामलों में भूउपयोग बदलाव की अनुमति हाईकोर्ट ने नहीं दी।

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3. कॉलोनियों में ज्यादा मंजिल बनाने की राह खोली: बिल्डिंग बायलॉज में सरकार ने ‘मल्टीस्टोरी’ की परिभाषा बदल दी है। हाईराज बिल्डिंग की ऊंचाई 15 मीटर से बढ़ाकर 18 मीटर व इससे अधिक कर दी। साथ ही स्टिल्ट पार्किंग को भी इमारत की ऊंचाई से छूट दे दी। इससे कॉलोनियों में ज्यादा ऊंचे भवन, इमारतें बनने लग गई। इसका बड़ा साइड इफेक्ट यह रहा कि कॉलोनियों की सीमित सुविधा (सड़क, सीवर, पेयजल व अन्य) पर ज्यादा बोझ बढ़ा दिया गया। मौजूदा भाजपा सरकार फिर से ऊंचाई घटाकर पन्द्रह मीटर करने की तैयारी कर रही है। संशोधन के बाद इन भूखंडों पर 15 मीटर से ज्यदा ऊंची बिल्डिंग नहीं बन सकेगी।

कोर्ट आदेश: कॉलोनियों में न तो भूखंडों का पुनर्गठन होगा और न ही निर्धारित आबादी के लिए दी गई सुविधाओं पर ज्यादा बसावट की अनुमति होगी।

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