
Rajasthan News : राजस्थान में 6 लाख सरकारी कार्यालय हैं और ये सालाना 4 हजार करोड़ रुपए की 1574 मेगावाट बिजली से रोशन होते हैं। हजारों करोड़ रुपए के बिजली बिल चुकाने के कारण लड़खड़ाती वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने भी बडे़ उपाय करना शुरू कर दिया है। अक्षय ऊर्जा निगम आगामी डेढ़ वर्ष में प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों को ग्रीन एनर्जी-क्लीन एनर्जी से लैस करने के लिए हाईब्रिड एन्युटी मॉडल (एचएएम) पर 1 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सोलर प्लांट से कवर करने की तैयारी कर रहा है। सरकारी कार्यालय के लिए जो बिजली प्रति यूनिट 9 से 10 रुपए तक में मिल रही है वही महज 3 से 4 रुपए प्रति यूनिट में पड़ेगी। एचएएम के तहत 7 साल में सरकारी विभाग बिजली बिल से फ्री हो जाएंगे।
अक्षय ऊर्जा निगम के शीर्ष अफसरों का कहना है कि सालाना 1574 मेगावाट बिजली के उत्पादन में बड़े स्तर पर कार्बन उत्सर्जन होता है। इससे प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण को नुकसान होता है। ऐसे में अगर प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों पर रूफटॉप लगाए जाते हैं तो क्लीन एनर्जी की दिशा में सरकार का यह बड़ा कदम होगा।
बिजली कंपनियां इस समय जो बिजली उपलब्ध करा रही हैं उसको पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन पर भी मोटा खर्चा हो रहा है। सरकारी कार्यालयों पर लगे रूफटॉप सोलर प्लांट से जो बिजली बनेगी वह वहीं खपेगी। ऐसे में ट्रांसमिशन पर करोड़ों रुपए के खर्च की भी बचत होगी।
अभी डिस्कॉम सरकारी कार्यालयों में 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दे रहा है। सरकारी कार्यालय पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगने पर यही बिजली 3 से 4 रुपए यूनिट में मिलेगी। इससे प्रति यूनिट 7 रुपए तक की बचत होगी।
एक किलोवाट रूफटॉप सोलर प्लांट से दिनभर में (आसमान साफ होने पर) 4 यूनिट से ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है। सरकारी कार्यालयों पर लगने वाले 1 मेगावाट से सालाना 17 लाख यूनिट बिजली के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।
विधानसभा, सचिवालय, जल भवन, विद्युत भवन, जेडीए, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर कलक्ट्रेट।
Updated on:
17 Nov 2024 11:37 am
Published on:
17 Nov 2024 10:46 am
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