
जयपुर। हाईकोर्ट ने पुरातत्व विभाग के हाथी सवारी की दरें 2500 से घटाकर 1500 रुपए करने को गलत ठहराया है। साथ ही, कहा कि हाथी सवारी से जुड़ी सोसायटी का पक्ष सुनकर नए सिरे से दरें तय की जाएं। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि जब विभाग ने हाथी सवारी की दरों में वृद्धि के दौरान सोसायटी को पक्ष रखने के लिए बुलाया तो दरें कम करते समय उनका पक्ष अनदेखा क्यों किया?
न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल ने हाथी गांव विकास समिति की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में 8 नवम्बर को हाथी सवारी की दर 2500 से घटाकर 1500 रुपए करने के पुरातत्व विभाग के आदेश को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता समिति की ओर से कहा कि विभाग उनका पक्ष सुने बिना हाथी सवारी की दर को कम नहीं कर सकता।
आमेर में हाथी सवारी की दरें करीब 10 साल बाद बदली गईं। 16 अक्टूबर 2014 को हाथी सवारी की दर 900 से बढ़ाकर 1100 रुपए की गई थी। 5 अक्टूबर 2023 को दर 1100 से बढ़ाकर 3500 रुपए करने का निर्णय हुआ, लेकिन बढ़ी हुई दर लागू होने से पहले ही विभाग ने 12 अक्टूबर 2023 को आदेश वापस ले लिया।
जवाब में अतिरिक्त महाधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह नरूका ने कहा कि नियमों में राज्य सरकार को दरें कम या ज्यादा करने का अधिकार है। इसी अधिकार का उपयोग करते हुए राज्य सरकार ने दरें कम की हैं। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार से कहा कि वह याचिकाकर्ता समिति का पक्ष सुनकर नए सिरे से हाथी सवारी की दर तय की जाए।
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Published on:
18 Dec 2024 08:23 am
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